एक करोड़ के इनामी सुधाकरण की काली कमाई की जांच करेगा ईडी

सुधाकरण के भाई व व्यावसायिक पार्टनर के पास से मिले थे 25 लाख व आधा किलो सोना
चुटिया थाने में दर्ज केस की पूर्व से एनआईए कर रही जांच
भाकपा माओवादियों की सेंट्रल कमेटी मेंबर सुधाकरण की काली कमायी की जांच प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) करेगा। 30 अगस्त 2017 को रांची रेलवे स्टेशन के समीप सुधाकरण के भाई बी नारायण और व्यावसायिक पार्टनर सत्यनारायण रेड्डी को लेवी के 25 लाख रुपये व आधा किलोग्राम सोना के साथ गिरफ्तार किया गया था। दोनों सुधाकरण से पैसा व सोना लेकर तेलंगाना जा रहे थे, तभी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी(एनआईए) ने 31 अक्तूबर 2017 को इस केस को टेकओवर किया था। एनआईए के द्वारा मामले में चार्जशीट किए जाने के बाद ईडी ने सुधाकरण की काली कमाई की जांच के लिए अपनी सहमति दी है। ईडी अब सुधाकरण व उसके सहयोगियों के इंवेस्टमेंट की जांच करेगी।
तेलंगाना में पैसों के निवेश की बात आयी थी सामने
एनआईए व रांची पुलिस की शुरूआती जांच में यह बात सामने आयी थी कि सुधाकरण ने लेवी के पैसों का इंवेस्टमेंट तेलंगाना में सत्यनारायण रेड्डी व उसके सहयोगियों के जरिए किया है। सुधाकरण ने 30 लाख रूपये अपने एक रिश्तेदार के बैंक खाते में भी ट्रांसफर किए थे। जांच में यह बात सामने आयी थी कि सत्यनारायण रेड्डी ने सुधाकरण के आंध्रप्रदेश, छतीसगढ़ में सक्रिय रहने के दौरान भी केंदू पत्ता के ठेके से करोड़ों की कमाई की थी। साल 2015 में संगठन ने सुधाकरण को जब झारखंड भेजा तब सत्यनारायण रेड्डी ने झारखंड में भी केंदू पत्ता का कारोबार शुरू कर दिया।

बीमारी का बहान बनाकर भी भेजा था पैसा
साल 2015 में सुधाकरण झारखंड आया था। दिसंबर 2015 में सुधाकरण की पत्नी नीलिमा एक छोटी सी बीमारी के बहाने संगठन के आठ लाख रुपये घर लेकर गयी थी और तीन महीना तेलंगाना में रही। बाद में वह गारू आयी थी, जहां से दुबारा 10 लाख लेकर वह तेलंगाना गई थी। सुधाकरण के रुपयों की खेप लेकर ही उसके भाई नारायण व व्यावसायिक पार्टनर लौट रहे थे, तब चुटिया में उनकी गिरफ्तारी हुई थी।

1990 में पीडब्ल्यूजी में शामिल हुआ था सुधाकरण
भाकपा माओवादी संगठन के केंद्रीय कमेटी का सदस्य सुधाकरण वर्ष 1990 में पीपुल्स वार ग्रुप (पीडब्लूजी) में शामिल हुआ था। तब 12वीं के छात्र रहे सुधाकरण को पीडब्लूजी में चैनुर (अब तेलंगाना के मनचेरियल जिला) का एरिया कमांडर बनाया गया था। सितंबर 2004 में आंध्रप्रदेश में उसे एक महत्वपूर्ण पद सौंपा गया था। बाद में उसे छत्तीसगढ़ में सेंट्रल कमेटी का मेंबर बनाया गया। सेंट्रल कमेटी में रहते हुए झारखंड आ गया. उसने झारखंड में रहते हुए पद का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर संगठन का पैसा अपने घर भेजा़ उसका सही नाम सब्बाजी उर्फ उग्गु उर्फ सुधाकर उर्फ किरण है। वर्तमान में सुधाकरण कोयलशंख जोन का नेतृत्व कर रहा। गुमला व लातेहार के जंगलों में उसका ठिकाना है।