लोकसभा चुनाव : हजारीबाग में बीजेपी और कांग्रेस के उम्मीदवार तैयार, त्रिकोणीय मुकाबले के आसार

हज़ारीबाग़ : हज़ारीबाग़ के पांच विधानसभा क्षेत्र (बरही, बड़कागांव, हज़ारीबाग़ सदर, मांडू और रामगढ़) के दो सीटों पर एनडीए के विधायक हैं. जबकि तीन सीटों पर इंडिया अलायंस का नियंत्रण माना जा रहा है. आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में सदर विधायक मनीष जयसवाल और भाजपा के पूर्व मुख्य सचेतक और मांडू विधायक जय प्रकाश भाई पटेल के बीच मुकाबला है, जो हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में दोनों नेता में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी. गौरतलब है कि ये दोनों नेता हज़ारीबाग़ लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट के दावेदार थे, लेकिन अब ये दोनों नेता के रास्ते अलग हो गए है, जिससे आगामी चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है.

प्रतिस्पर्धियों की त्रिमूर्ति: पटेल, जयसवाल, और मेहता-समावेशन की लड़ाई

प्राथमिक गणना से यह तो तय माना जा रहा है कि कांग्रेस से जय प्रकाश पटेल और भाजपा से मनीष जयसवाल के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है, लेकिन यहां तीसरे उम्मीदवार की चर्चा करना भी बहुत जरूरी है. तीसरे उम्मीदवार सीपीआई (एम) के भुवनेश्वर प्रसाद मेहता (भुवनेश्वर प्रसाद मेहता को झारखंड का स्टालिन भी बोला जाता है) है जो 2004 में संसद सदस्य थे. माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में हज़ारीबाग़ लोकसभा सीट के लिए मैदान में उतर सकते हैं. उनके चुनाव में उतरने से लड़ाई त्रिकोणीय हो जाएगी. साथ ही इण्डिया गठबंधन के लिए एक खतरा पैदा हो सकता है.  क्योंकि भुवनेश्वर प्रसाद मेहता कोयरी समुदाय से आते हैं जिनकी हज़ारीबाग़ में एक महत्वपूर्ण वोटिंग आबादी है. हज़ारीबाग़ का एक और उल्लेखनीय पहलू यह है कि सोकीयार समुदाय, कुशवाह या कोइरी समुदाय के समान है, जिससे संभावित रूप से जय प्रकाश पटेल और भुवनेश्वर प्रसाद मेहता दोनों को लाभ होता रहा है. इसलिए, दोनों जयप्रकाश पटेल और भुवनेश्वर मेहता की मौजूदगी से इंडिया गठबंधन के लिए वोट बंट सकते हैं. यह बीजेपी के मौजूदा  उम्मीदवार मनीष जयसवाल के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है.अल्पसंख्यक, सवर्ण, यादव, और चंद्रवंशी समुदाय का वोट किस ओर जाता है, यह भी महत्वपूर्ण होगा जीत हार के लिए.

उम्मीदवारों का प्रदर्शन और आगामी चुनावों में रणनीतिक योजना की आवश्यकता

2024 में आगामी लोकसभा चुनाव सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण होंगे. हज़ारीबाग़ निर्वाचन क्षेत्र की लड़ाई न केवल कांग्रेस, भाजपा और सीपीआई (एम) के लिए बल्कि इसका भारत के बड़े राजनीतिक परिदृश्य पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. हालांकि सीपीआई (एम) ने अभी तक घोषणा नहीं की है कि वह लड़ेंगे कि नहीं लेकिन पिछले बार वह लड़े थे इसलिए उसे आकलन में शामिल किया गया है.

निष्कर्ष

कोइरी-कुर्मी समुदाय के दो मजबूत उम्मीदवारों, जय प्रकाश पटेल और भुवनेश्वर प्रसाद मेहता की मौजूदगी, इंडिया अलायंस के लिए कड़ी चुनौती पैदा कर सकती है और अंततः भाजपा के उम्मीदवार मनीष जयसवाल को फायदा पहुंचा सकती है. आगामी चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने से पहले सभी पार्टियों के लिए सावधानीपूर्वक रणनीति बनाना और सभी कारकों पर विचार करना आवश्यक है. हज़ारीबाग़ निर्वाचन क्षेत्र की लड़ाई न केवल राजनीतिक ताकत की परीक्षा होगी बल्कि भारतीय राजनीति में, राष्ट्रवाद या जाति-आधारित मतदान पैटर्न की भी परीक्षा होगी.

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