NO SMOKING DAY : हर साल मार्च महीने के दूसरे बुधवार को धूम्रपान निषेध दिवस यानी नो स्मोकिंग डे मनाया जाता है. इस बार 13 मार्च 2024 यानी आज नो स्मोकिंग डे मनाया जा रहा है. इस साल की थीम “बच्चों को तंबाकू प्रोडक्ट्स से बचाना है” रखा गया है. धूम्रपान के दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को बताने और धूम्रपान छोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 16 वर्षीय युवा से लेकर 80 वर्षीय बुजुर्ग तक धूम्रपान का सेवन करते हैं. आए दिन कई लोग सिगरेट की बुरी लत को छोड़ने का प्रयास करते हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिलती. पहली बार साल 1984 में आयरलैंड गणराज्य में यह दिवस मनाया गया था.
चिकित्सा रिपोर्ट्स के अनुसार धूम्रपान को कैंसर और अन्य असाध्य बीमारियों का कारण माना गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक धूम्रपान निषेध दिवस कारगर साबित हुआ है क्योंकि इस दिन दस लोगों में से कम से कम एक व्यक्ति धूम्रपान छोड़ता है.
अमेरिकन राइटर कर्ट वोनगुट कहते हैं कि सिगरेट पीना खुद की हत्या करना जैसा है. तंबाकू या धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है. हालांकि ये बात जानते हुए भी दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं. धूम्रपान करने से कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. फेफड़ों का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है. धूम्रपान करने वाले लोगों के संपर्क में आने से भी अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं.
नई पीढ़ी इस जाल में बुरी तरह कैद हो चुकी है. आज हर तीसरा व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में धूम्रपान का आदी हो चुका है. बीड़ी-सिगरेट के अलावा तम्बाकू के छोटे-छोटे पाउचों से लेकर तेज मादक पदार्थों, औषधियों तक की सहज उपलब्धता इस आदत को बढ़ाने का प्रमुख कारण है. इस दीवानगी को ओढ़ने के लिए प्रचार माध्यमों ने भी भटकाया है.
डब्ल्यूएचओ ने पनामा में एक सम्मेलन में अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वर्ष 2030 में प्रति वर्ष धूम्रपान की वजह से मारे जाने लोगों की संख्या बढ़कर एक करोड़ के आसपास हो जाएगी. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 देशों के 2.3 अरब लोगों को धूम्रपान पर किसी न किसी तरह लगाए गए प्रतिबंधों से लाभ हुआ है.
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