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    Home»जोहार ब्रेकिंग»गांडेय उपचुनाव : झारखंड की राज​नीति के लिए परिवर्तन की ब्यार, राज्य को मिल सकता है नया मुख्यमंत्री
    जोहार ब्रेकिंग

    गांडेय उपचुनाव : झारखंड की राज​नीति के लिए परिवर्तन की ब्यार, राज्य को मिल सकता है नया मुख्यमंत्री

    Team JoharBy Team JoharApril 26, 2024Updated:April 26, 2024No Comments7 Mins Read
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    रांची: झारखंड राज्य 20 मई को गांडेय निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपचुनाव के लिए तैयारी कर रहा है, जो लोकसभा चुनाव के साथ मेल खाएगा. हालांकि, जिस चीज़ ने कई लोगों का ध्यान खींचा है वह है पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, जो उपचुनाव लड़ रही हैं. इससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि झारखंड के अगले मुख्यमंत्री के रूप में कौन कार्यभार संभालेगा और राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर अटकलें और चर्चाएं तेज हो गई हैं.

    कल्पना सोरेन: राजनीति का नया चेहरा

    कल्पना सोरेन का राजनीति में प्रवेश कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात नहीं हो सकती है, क्योंकि वह झारखंड की राजनीति में गहरी जड़ें जमाए हुए परिवार से आती हैं. उनके पति हेमंत सोरेन, जो हाल तक झारखंड के मुख्यमंत्री थे, अनुभवी राजनेता और जेएमएम नेता शिबू सोरेन के बेटे हैं. कल्पना सोरेन के ससुर भी झारखंड के सीएम रह चुके हैं और फिलहाल सांसद हैं. इतनी मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कल्पना सोरेन ने उनके नक्शेकदम पर चलने का फैसला किया है.

    कल्पना सोरेन: झारखंड की अगली सीएम?

    हालांकि, जिस चीज़ ने कई लोगों का ध्यान खींचा है, वह है कल्पना सोरेन के झारखंड की अगली सीएम बनने की संभावना. ऐसी अटकलें हैं कि राजनीति में उनकी भागीदारी और शिबू सोरेन परिवार के साथ उनके मजबूत संबंध के कारण वह यह भूमिका निभा सकती हैं. शिबू सोरेन के विरोधाभासी बयान और हेमंत सोरेन के मित्र व गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार सोनू के एक ट्वीट से इस संभावना को और बल मिल गया है. सुदिव्य कुमार सोनू के ट्वीट ने गांडेय के राजनीतिक परिदृश्य में हलचल मचा दी है. क्योंकि इसका मतलब यह है कि कल्पना सोरेन को वोट देने का मतलब सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि संभावित रूप से अगला मुख्यमंत्री चुनना होगा. इससे अटकलें तेज हो गई हैं और इलाके में पहले से चल रहा प्रचार अभियान और तेज हो गया है. झामुमो पार्टी के भीतर कल्पना सोरेन के लिए मजबूत समर्थन ‘उलगुलान न्याय महा रैली’ और पोस्टरों में उन्हें अधिक प्रमुखता देने के उनके फैसले से स्पष्ट है, जो नेतृत्व में संभावित बदलाव का संकेत दे रहा है. हालांकि, इस कदम की भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने आलोचना की है, जो इसे पार्टी पर सोरेन परिवार के प्रभुत्व के परिणाम के रूप में देखते हैं. इस बयान से गांडेय में होने वाले चुनाव को लेकर सियासी ड्रामा और बढ़ गया है.

    पार्टी के अंतर्निहित विवाद: नेतृत्व भाई-भतीजावाद या योग्यतावाद?

    अगर झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) प्रमुख शिबू सोरेन की बहू कल्पना सोरेन झारखंड की अगली मुख्यमंत्री बनती हैं, तो इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच सोरेन परिवार के प्रभुत्व को लेकर गलत संदेश जा सकता है. इससे संभावित रूप से पार्टी के भीतर आंतरिक संघर्ष और विभाजन हो सकता है, क्योंकि पार्टी के अन्य सदस्य नेतृत्व पदों के लिए खुद को दरकिनार महसूस कर सकते हैं. इससे पार्टी की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है. क्योंकि यह पार्टी के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाता है और क्या पद योग्यता के बजाय पारिवारिक संबंधों के आधार पर दिए जा रहे हैं. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं और मतदाताओं में असंतोष की भावना पैदा हो सकती है, जो इसे निष्पक्ष चयन प्रक्रिया के बजाय भाई-भतीजावाद के रूप में देख सकते हैं. जनता की नज़र में एक मजबूत और विश्वसनीय छवि बनाए रखने के लिए, राजनीतिक दलों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे योग्यता-आधारित नेतृत्व को बढ़ावा दें और पार्टी के भीतर वंशवाद पैदा करने से बचें.

    रणनीतिक कदम: झारखंड में चंपाई सोरेन के खिलाफ साजिश संभव

    सूत्रों के मुताबिक: झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को लेकर विशेषज्ञों के आकलन से साफ पता चलता है कि उनके खिलाफ पहले से ही साजिश रची जा रही है. जाहिर है, जब भी वह लोकसभा टिकट के लिए किसी मजबूत उम्मीदवार का नाम आगे बढ़ाते हैं, तो उनका चयन नहीं किया जाता है. इससे पार्टी के भीतर संभावित सांठगांठ का संकेत मिलता है. संभवत: पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबी, जो चंपई सोरेन के खिलाफ काम कर सकते हैं. लोकसभा चुनाव में कमजोर उम्मीदवार उतारने की यह रणनीति पार्टी के लिए हार का कारण बन सकती है. सूत्रों के मुताबिक, सिंहभूम सीट के लिए निरल पूर्ति चंपाई सोरेन की पसंद थे, लेकिन टिकट संथाल जाति की कमजोर उम्मीदवार जोबा मांझी को दे दिया गया. इसी तरह, जमशेदपुर सीट के लिए महावीर मुर्मू का नाम प्रस्तावित किया गया था, जो मजबूत दावेदार हो सकते थे, लेकिन उनकी जगह उड़िया उम्मीदवार समीर मोहंती को चुना गया. यह फैसला कुर्मी और आदिवासी बहुल इलाकों के अनुरूप नहीं था और विद्युत वरण महतो का मुकाबला नहीं कर सका. इन कार्रवाइयों से साफ है कि चंपई सोरेन की पसंद और पार्टी में उनकी स्थिति को जानबूझकर कमजोर करने की कोशिश की जा रही है और हार का ठीकरा चंपई सोरेन पर फोड़ा जाएगा.

    चर्चा: चंपई और बीजेपी की अद्भुत राजनीतिक संभावनाएं!

    दूसरी ओर, अगर कल्पना सोरेन झारखंड में आगामी उपचुनाव जीतती हैं, तो इसकी अत्यधिक संभावना है और उपरोक्त संभावना यह है कि भाजपा संभावित गठबंधन के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के वर्तमान मुख्यमंत्री चंपई सोरेन से संपर्क करने की कोशिश करेगी. भाजपा का यह रणनीतिक कदम महाराष्ट्र में उसके दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित कर सकता है, जहां उसने शिवसेना शिंदे गुट के साथ सरकार बनाई थी. ऐसे में अगर चंपाई सोरेन जेएमएम के 13 से 20 विधायकों का समर्थन हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं, तो वे संभावित रूप से बीजेपी के 25 विधायकों के साथ सरकार बना सकते हैं. यह गठबंधन दोनों चंपाई सोरेन एवं बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि इससे भाजपा को झारखंड में मजबूत पकड़ मिलेगी और राज्य को राजनीतिक स्थिरता भी मिलेगी. हालांकि, यह देखना बाकी है कि क्या चंपाई सोरेन अपनी पार्टी से अलग होकर बीजेपी के साथ जुड़ने को तैयार होंगे, क्योंकि इससे उनकी अपनी पार्टी के भीतर ही विरोध हो सकता है. बहरहाल, अगर कल्पना सोरेन उपचुनाव में विजयी होती हैं, तो यह झारखंड में भाजपा और झामुमो के एक हिस्से के बीच संभावित गठबंधन का मार्ग प्रशस्त कर सकता है. इंडिया अलायंस के लिए खतरनाक भी हो सकता है.

    गांडेय उपचुनाव: राजनीतिक दुनिया की हलचल

    झारखंड में गांडेय के उपचुनाव ने न केवल इस बात को लेकर हलचल पैदा कर दी है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा, बल्कि संभावित राजनीतिक गठबंधनों के बारे में भी अटकलें तेज हो गई हैं, जो बदल सकते हैं. निवर्तमान विधायक सरफराज अहमद के योजनाबध तरीके के त्यागपत्र के साथ, उपचुनाव एक महत्वपूर्ण घटना बन गई है जो झारखंड की राजनीति की भविष्य की दिशा तय करेगी. इस उपचुनाव में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही अपनी स्थिति मजबूत करने और राज्य में प्रभुत्व स्थापित करने के लिए जीत की कोशिश कर रहे हैं. इस उपचुनाव के नतीजे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं, जिससे संभावित रूप से सत्ता की गतिशीलता में बदलाव आएगा और इसके भविष्य को आकार मिलेगा. यह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए माहौल भी तैयार करेगा और यह भी तय करेगा कि झारखंड का राजनीतिक माहौल किस दिशा में जाएगा. सभी की निगाहें अब गांडेय पर हैं क्योंकि हर राजनीतिक दल अपनी जीत सुनिश्चित करने और राज्य के मामलों को नियंत्रित करने की दिशा में अपना मार्ग प्रशस्त करने के लिए रणनीति बना रहा है.

    निष्कर्ष

    हालांकि, इन सभी अटकलों और अनिश्चितता के बीच, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अंततः गांडेय की जनता ही इस उपचुनाव का परिणाम तय करेगी. उनका वोट न केवल यह तय करेगा कि राज्य विधानसभा में उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा, बल्कि झारखंड के अगले सीएम के निर्धारण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. अंत में, गांडेय के आगामी उपचुनाव ने झारखंड के राजनीतिक भविष्य के बारे में कई सवाल और अनिश्चितताएं सामने ला दी हैं. कल्पना सोरेन के अगले सीएम बनने की संभावना और राजनीतिक गठबंधन में बदलाव की संभावनाओं के बीच सभी की निगाहें इस उपचुनाव पर होंगी. 20 मई न सिर्फ गांडेय विधानसभा क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे झारखंड राज्य के लिए अहम दिन होगा.

    ये भी पढ़ें: लोकसभा चुनाव फेज-2 : सुबह 9 बजे तक त्रिपुरा में सबसे ज्यादा 16.65 प्रतिशत व सबसे कम महाराष्ट्र में 7.45 प्रतिशत

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