
Patna : बिहार की नदियां, जो कभी व्यापार और संस्कृति की जीवनरेखा थीं, अब फिर से चमकने को तैयार हैं। राज्य सरकार ने गंगा, गंडक और कोसी जैसी नदियों पर जलमार्ग विकसित करने का बड़ा कदम उठाया है। इसका मकसद माल ढुलाई को सस्ता और पर्यावरण के लिए अनुकूल बनाना है। परिवहन विभाग इस साल एजेंसी चयन का काम पूरा करेगा, ताकि निजी कंपनियों के साथ मिलकर जलमार्ग का विकास तेज हो सके। केंद्र सरकार भी राष्ट्रीय जलमार्ग-1 के तहत पटना को जल परिवहन का हब बनाने में सहयोग कर रही है।
जलमार्ग के फायदे
जलमार्ग सड़क और रेल की तुलना में सस्ता और प्रदूषण-मुक्त विकल्प है। सड़क से माल ढुलाई का खर्च 2.5 रुपये प्रति मीट्रिक टन, रेल से 1.41 रुपये, जबकि जलमार्ग से केवल 1.06 रुपये है। इससे बालू, पत्थर जैसे भारी सामान को झारखंड से लाना या उत्तर बिहार में पहुंचाना आसान होगा। साथ ही, क्रूज पर्यटन से गंगा के किनारे की सैर और रोमांचक होगी। केंद्र की जलमार्ग विकास परियोजना के तहत पटना में कोच्चि मॉडल पर आधारित वाटर मेट्रो की योजना भी बन रही है, जो दोनों तटों को जोड़ेगी और दैनिक यात्रा को सुगम बनाएगी।
मास्टर प्लान और भविष्य की योजना
राज्य सरकार ने 2030 तक बिहार को जलमार्ग में नंबर वन बनाने का मास्टर प्लान तैयार किया है। विजन 2047 के तहत यह योजना अर्थव्यवस्था को गति देगी, पर्यटन को बढ़ाएगी और सस्टेनेबल परिवहन पर जोर देगी। कच्ची दरगाह में मल्टीमॉडल टर्मिनल बनेगा, जो रेल, सड़क और नदी को जोड़ेगा। इसके अलावा, 16 नए जेटी बनाए जाएंगे और 21 मौजूदा जेटी का विस्तार होगा। पर्यटक क्रूज से पटना से वाराणसी तक की यात्रा का आनंद ले सकेंगे।
काम में तेजी की उम्मीद
केंद्र और राज्य की टास्क फोर्स जलमार्ग को और मजबूत करेगी। अनुभवी एजेंसियों का चयन कर जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। उम्मीद है कि एजेंसी चयन के बाद काम तेज होगा और बिहार की नदियां फिर से विकास की धुरी बनेंगी। यह कदम बिहार की प्रगति को नई दिशा देगा और पर्यावरण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी फायदा पहुंचाएगा।