Patna : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। उन पर संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर का अपमान करने का गंभीर आरोप लगाया गया है। आयोग ने पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। इस मामले ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है।
मामले का वीडियो वायरल
आयोग के पत्र के अनुसार, लालू यादव के जन्मदिन के अवसर पर एक वायरल वीडियो में देखा गया कि एक कार्यकर्ता द्वारा दी गई बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीर को लालू ने अपने पैरों के पास रखवाकर फोटो खिंचवाई, लेकिन तस्वीर को हाथ तक नहीं लगाया। आयोग ने इसे बाबासाहेब का अपमान बताते हुए कहा कि इससे न केवल एक वर्ग, बल्कि पूरे देश के सम्मान को ठेस पहुंची है।
BJP का लालू पर हमला
मामले के तूल पकड़ने के बाद BJP ने लालू यादव पर तीखा हमला बोला है। BJP प्रवक्ता नीरज कुमार ने बयान जारी कर कहा, “लालू यादव का 1990 से 2005 तक का 15 साल का जंगलराज बिहार में दलितों के लिए अंधकारमय युग था। इस दौरान दलितों पर सबसे अधिक अत्याचार हुए। 600 से अधिक जातीय नरसंहार हुए, जिसमें महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भी बेरहमी से मारा गया। अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिला, और दलितों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया। लालू का सामाजिक न्याय का नारा अपराध, जातीय हिंसा और व्यवस्था की बर्बादी का पर्याय बन गया। यह चित्र नहीं, लालू परिवार का चरित्र है।”
सियासी खलबली और सोशल मीडिया पर विवाद
वायरल वीडियो में लालू के जन्मदिन समारोह के दौरान की घटना ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है। विपक्षी दलों ने इसे दलित समुदाय के प्रति लालू की मानसिकता का प्रतीक बताया है, जबकि RJD समर्थकों ने इसे तूल देने की कोशिश करार दिया है। लालू यादव को अब 15 दिनों के भीतर आयोग को जवाब देना होगा, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह मामला बिहार की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है।
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