Patna : बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा रुझानों में जेडीयू बड़ी जीत की ओर बढ़ती दिख रही है। 2020 में 43 सीटें जीतने वाली नीतीश कुमार की पार्टी इस बार 79 से ज्यादा सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। नालंदा, मुंगेर और सुपौल जैसे कई जिलों में जेडीयू लगभग क्लीन स्वीप की स्थिति में है। जेडीयू ने इस चुनाव में एनडीए का हिस्सा बनकर 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था।
रुझानों ने साफ कर दिया है कि अगर एनडीए सरकार बनी, तो नीतीश कुमार लगातार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उनके राजनीतिक करियर के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण वापसी मानी जा रही है। 2010 में 116 सीटें जीतने वाली पार्टी 2015 में 72 और 2020 में तीसरे स्थान पर चली गई थी।
नीतीश कुमार के मजबूत प्रदर्शन के 5 बड़े कारण
- रणनीतिक और सक्रिय चुनावी तैयारी : चुनाव से पहले विरोधियों ने उन्हें कमजोर और बीमार बताने की कोशिश की, लेकिन नीतीश ने चुपचाप अपनी रणनीति से इसका जवाब दिया। टिकट बंटवारे और सीटों के फैसलों में उन्होंने सीधा दखल दिया। नालंदा में लोजपा (आर) को एक भी सीट न मिलना उसी रणनीति का हिस्सा था।
- समाजिक समीकरण का मास्टर स्ट्रोक : नीतीश ने महिलाओं, लव-कुश और महादलित वोट बैंक को मजबूत किया। एंटी-इंकंबेंसी कम करने के लिए उन्होंने 81 रैलियां और कई रोड शो किए।
- क्षेत्रवार नेतृत्व की जिम्मेदारी : उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी—
कोशी-सीमांचल : विजेंद्र यादव
मिथिलांचल : संजय झा
पटना, मुंगेर, बांका : ललन सिंह
नालंदा : मनीष वर्मा
पुराने नेता जैसे दुलाल चंद्र गोस्वामी, चंद्रेश चंद्रवंशी और महाबली सिंह भी आगे चल रहे हैं।
- काम पर फोकस, कम विवादित बयान : नीतीश ने इस बार किसी पर व्यक्तिगत हमला न करके सिर्फ 20 साल के विकास कार्यों को प्रचार का मुख्य विषय बनाया। महागठबंधन नेताओं के बयान—कि बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी—भी उनके पक्ष में गए।
- मुस्लिम मतदाताओं को साथ लाना : इस चुनाव में जेडीयू ने 4 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे, जिनमें से 3 आगे चल रहे हैं। पिछली बार जेडीयू को मुस्लिम उम्मीदवारों से एक भी जीत नहीं मिली थी।
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