New Delhi : ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) ग्लोबल हेल्थ की ताजा रिपोर्ट ने भारत में शिशु स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में जन्म के समय कम वजन और छोटे आकार वाले शिशुओं के मामले सबसे अधिक हैं। देश में जन्म लेने वाले 47% कम वजन वाले शिशु इन्हीं चार राज्यों से आते हैं, जिसमें बिहार की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है।
बिहार में जन्म ले रहे हैं कुपोषित बच्चे
1993 से 2021 तक के आंकड़ों और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के विश्लेषण पर आधारित इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में हर साल लगभग 42 लाख बच्चे कम वजन (2.5 किलोग्राम से कम) के साथ जन्म लेते हैं। इनमें से 20 लाख से अधिक बच्चे बिहार, यूपी, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से हैं। खासकर 2019-21 के दौरान बिहार में कम वजन और छोटे आकार वाले शिशुओं की संख्या “काफी अधिक” रही। रिपोर्ट में बताया गया कि राजस्थान पहले इस सूची में शामिल था, लेकिन वहां पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के कारण स्थिति बेहतर हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में कुपोषण, स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच, गरीबी, प्रारंभिक देखभाल की कमी और जन्म पूर्व जांचों की अनदेखी इस समस्या के प्रमुख कारण हैं।
बिहार सरकार की पहल
रिपोर्ट में मातृ स्वास्थ्य, पोषण और प्रसव पूर्व देखभाल को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया गया है। बिहार में मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना, जननी सुरक्षा योजना, आयरन-फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन और पोषण अभियान जैसी योजनाएं चल रही हैं, लेकिन नीति-निर्धारण और जमीनी स्तर पर उनके क्रियान्वयन में बड़ा अंतर है।
रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि इस संकट से निपटने के लिए हर गर्भवती महिला की समय पर स्क्रीनिंग, नियमित जांच, पोषण और आयरन सप्लीमेंटेशन सुनिश्चित करना, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान तेज करना और आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की भूमिका को मजबूत करना जरूरी है। कम वजन वाले शिशुओं का लगातार जन्म न केवल स्वास्थ्य संकट है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास में भी बाधा बन रहा है। BMJ की यह रिपोर्ट सरकारों के लिए स्पष्ट संदेश है कि स्वस्थ पीढ़ी के लिए मातृ और शिशु स्वास्थ्य पर तत्काल और प्रभावी कदम उठाने होंगे।
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