Patna : बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है. CM नीतीश के दो पूर्व विश्वासपात्र—जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा ‘जन सुराज’ के संस्थापक प्रशांत किशोर—अब एक हो गए हैं. आप सबकी आवाज (आसा) पार्टी का आज औपचारिक रूप से ‘जन सुराज’ में विलय हो गया. यह घटनाक्रम आगामी बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री RCP सिंह जन सुराज में शामिल। pic.twitter.com/eYzcKC1HQ9
— JanSuraajForBihar (@ForSuraaj) May 18, 2025
राजनीति में ‘नई शुरुआत’ की घोषणा
विलय के मौके पर आरसीपी सिंह ने कहा, “हमने एक सप्ताह पहले ही तय कर लिया था कि 18 मई को यह ऐतिहासिक कदम उठाया जाएगा. आज रविवार, भगवान सूर्य का दिन है—इसलिए यह दिन बहुत शुभ है.” उन्होंने आगे कहा कि अब तक उन्होंने और प्रशांत किशोर ने एनडीए और I.N.D.I.A. दोनों गठबंधनों के लिए “मजदूरी” की है, लेकिन अब वे अपनी खुद की राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं.
‘सुंदर बिहार, खुशहाल बिहार’ का संकल्प
विलय कार्यक्रम में आरसीपी सिंह ने बिहार की उपेक्षा का मुद्दा उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “पीएम 2047 तक विकसित भारत की बात करते हैं, लेकिन कभी विकसित बिहार की बात नहीं करते.” उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में नवादा से भागलपुर तक खनिजों का अपार भंडार है, जिसमें सोना और टंगस्टन भी शामिल है, लेकिन आज तक सरकार ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
नीतीश से नजदीकी, फिर दूरी
पूर्व आईएएस अधिकारी आरसीपी सिंह कभी नीतीश कुमार के सबसे करीबी माने जाते थे. उन्होंने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला और केंद्रीय मंत्री भी बने. लेकिन बाद में मतभेदों के चलते उन्होंने जदयू छोड़ दी और बीजेपी का रुख किया. वहां से भी अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी ‘आसा’ बनाई थी.
तीसरा मोर्चा या विकल्प?
प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह का यह नया गठजोड़ बिहार में तीसरे राजनीतिक विकल्प के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहा है. आरसीपी सिंह ने दावा किया, “लोग हमें तीसरे नंबर पर बता रहे हैं, लेकिन परीक्षा का नतीजा आएगा तो हम पहले नंबर पर होंगे.”
राजनीतिक विश्लेषक इस घटनाक्रम को बिहार की सियासत में “तीसरे मोर्चे के पुनर्जागरण” के रूप में देख रहे हैं.
अब देखना यह होगा कि यह नया गठबंधन बिहार की जनता का भरोसा जीत पाता है या नहीं, खासकर तब जब राज्य की राजनीति दो ध्रुवों—एनडीए और I.N.D.I.A.—के इर्द-गिर्द घूमती रही है.
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