Johar Live Desk : व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लीविट ने मंगलवार को ऐलान किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस पर दबाव बढ़ाने के लिए भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों को पहले टैरिफ के रूप में जाना जा रहा था। ट्रम्प ने भारत पर 50% टैरिफ लागू करने का फैसला किया है, जिसमें 25% रेसीप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% पैनल्टी शामिल है। रेसीप्रोकल टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो चुका है, जबकि पैनल्टी 27 अगस्त से प्रभावी होगी। लीविट ने बताया कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य रूस पर अप्रत्यक्ष दबाव डालकर यूक्रेन-रूस युद्ध को समाप्त करने के लिए मजबूर करना है।
ट्रम्प-जेलेंस्की मुलाकात
सोमवार देर रात (भारतीय समयानुसार) ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की। ट्रम्प ने इस बातचीत को सफल करार दिया, जबकि जेलेंस्की ने इसे अपनी अब तक की सबसे अच्छी चर्चा बताया। हालांकि, इस दौरान रूस-यूक्रेन के बीच सीजफायर पर कोई सहमति नहीं बन सकी। ट्रम्प ने कहा कि अभी सीजफायर संभव नहीं है।
बैठक में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी पर चर्चा हुई। इस दौरान ट्रम्प ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से 40 मिनट तक फोन पर बात की। पुतिन ने रूस और यूक्रेन के प्रतिनिधियों के बीच अगले 15 दिनों में सीधी बातचीत का समर्थन किया। जेलेंस्की ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि यूक्रेन, यूरोपीय देशों के सहयोग से 90 अरब डॉलर (लगभग 8 लाख करोड़ रुपये) के अमेरिकी हथियार खरीदेगा। इस बैठक में ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस समेत छह यूरोपीय देशों के नेता भी शामिल थे।
ट्रम्प-पुतिन की अलास्का में 3 घंटे की बैठक
पिछले हफ्ते 15 अगस्त को ट्रम्प और पुतिन ने अलास्का में करीब तीन घंटे तक मुलाकात की। इस दौरान यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर चर्चा हुई। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने 12 मिनट की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की, लेकिन पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया। ट्रम्प ने इस मुलाकात को सकारात्मक बताया और कहा कि कई बिंदुओं पर सहमति बनी, लेकिन कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ। उन्होंने इस बैठक को 10 में से 10 अंक दिए। पुतिन ने अगली मुलाकात मॉस्को में करने का प्रस्ताव रखा।
पुतिन का 10 साल बाद अमेरिका दौरा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 10 साल बाद अमेरिका पहुंचे थे। इससे पहले उन्होंने बराक ओबामा के कार्यकाल में अमेरिका का दौरा किया था।
रूस-यूक्रेन विवाद : क्षेत्रीय दावों पर तनाव
रूस ने यूक्रेन के 20% हिस्से (लगभग 1,14,500 वर्ग किलोमीटर) पर कब्जा कर रखा है, जिसमें क्रीमिया, डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन और जापोरिजिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं। रूस इन क्षेत्रों को अपनी सामरिक और ऐतिहासिक धरोहर मानता है और इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर, जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन अपनी एक इंच जमीन भी रूस को नहीं देगा। उनका मानना है कि पीछे हटने से देश की संप्रभुता और सुरक्षा कमजोर होगी, साथ ही रूस को भविष्य में और हमले करने का मौका मिल सकता है। जेलेंस्की बिना शर्त युद्धविराम की मांग कर रहे हैं और कह रहे हैं कि यूक्रेन का दूसरा बंटवारा किसी भी हाल में नहीं होने दिया जाएगा।
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