जब आशा भोसले ने ठुकराया था आरडी बर्मन के विवाह का प्रपोजल, फिर ऐसे हुई शादी

मुंबई: बॉलीवुड के नायाब संगीतकार राहुल देव बर्मन यानी आरडी बर्मन का आज जन्मदिन है. उनका जन्म 27 जून 1939 को हुआ था. संगीत उन्हें विरासत में मिला था. वे मशहूर संगीतकार सचिन देव बर्मन के बेटे हैं. फिल्म इंडस्ट्री में लोग प्यार से उन्हें ‘पंचम दा’ कहते थे. उनके कुछ गाने इतने लोकप्रिय हुए कि लोग आज भी उन्हें गुनगुनाना पसंद करते हैं. वे बॉलीवुड के सबसे सफल म्यूजिक डायरेक्टर कहे जा सकते हैं. 60 से लेकर 90 तक के तीन दशक में उनके गानों ने जबरदस्त धूम मचाई थी. उन्होंने आशा भोसले और किशोर कुमार को पॉपुलर सिंगर बनाया. बर्मन ने लगभग 331 फिल्मों में संगीत दिया.

लता मंगेशकर के साथ भी उन्होंने कुछ गाने कम्‍पोज किए. ‘पंचम दा’ ने एक से बढ़कर एक रोमांटिक संगीत दिए. वे व्यक्तिगत जीवन में भी रोमांटिक शख्स थे. अपनी पहली शादी से तलाक लेकर अलग होने के बाद वे आशा भोसले को पसंद करने लगे थे. इतना ही नहीं उन्होंने एक दिन आशा भोसले को विवाह के प्रपोज कर दिया, जो उनसे उम्र में 6 साल बड़ी थीं. आशा ने उनका प्रपोजल अस्वीकार कर दिया, लेकिन ‘पंचम दा’ हार मानने वाले नहीं थे.

राहुल देव बर्मन ने आशा से विवाह करने की मन में ठान ली थी. कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने आशा को विवाह के लिए राजी कर लिया. कुदरत का करिश्मा देखिए दोनों फनकारों की यह दूसरी शादी थी. दोनों की रियल लाइफ लव स्‍टोरी में शानदार संगीत के सभी तत्व मौजूद हैं, जिसमें प्‍यार, विरह, दर्द के बाद भी अंत तक एक दूसरे के लिए सम्मान और समर्पण बना रहा.

आरडी की पहली शादी रीता पटेल से 1966 में हुई थी, जो केवल पांच साल चली. रीता उनकी फैन थी. फिर बात कुछ इस तरह आगे बढ़ी कि शादी में तब्दील हो गई. लेकिन जल्दी ही दोनों के संबंध इतनी कटुता से भर गई कि आरडी घर छोड़कर होटल के कमरे में चले गए.

दोनों के संगीत में रोमांस घुल रहा था

आशा लगातार आरडी के लिए गाने गा रही थीं. वह उनके म्यूजिक की सबसे प्रिय आवाज थीं. ऐसा लगता था कि पंचम का संगीत और आशा की सुरीली और मादक आवाज एक दूसरे के लिए ही बनी है. सही बात ये है कि कई सालों तक बगैर शब्दों के ही उनके अहसास संगीत की तरह रोमांस बनकर बहते रहे. संगीत उन्हें करीब ला रहा था. इस दौर में दोनों ने एक से बढ़कर एक गाने साथ किए. वे ऐसे गाने और संगीत के दरिया थे कि आज भी सुनकर कुछ कुछ होने लगता है.

प्यार के रास्ते में अड़चनें भी थीं

दोनों करीब आते गए. दोनों का रास्ता एक दूसरे के साथ चलता रहा. ये बात धीरे धीरे हर ओर जाहिर हो रही थी कि पंचम दा और आशा जी के बीच कुछ चल रहा है. लेकिन बीच में थीं ढेर सारी अड़चनें. आशा की उम्र ज्यादा थी. उनका अपना परिवार था. आरडी की मां इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थीं. लिहाजा दोनों ने अपने प्यार को समय के हाल पर छोड़ दिया. हां, अहसास और प्यार की पंखुरियां जरूर लंबी होकर दोनों को जकड़ती जा रही थीं.

इन हालात में की शादी

इस बीच आरडी के पिता सचिनदेव का निधन हो गया. इसने उन्हें तोड़ा लेकिन उनकी मां मीरा तो इस सदमे से बाहर ही नहीं निकल पाईं. उन्हें मनोवैज्ञानिक समस्याएं होने लगीं. उनकी यादाश्त चली गई. बेटे को ही पहचानना बंद कर दिया. पंचम ने समय को औऱ समय दिया लेकिन फिर उन्हें लगा कि मां की तबीयत ऐसी ही रहेगी तो उन्होंने 1980 में आशा से शादी कर ली.