Ranchi : झारखंड के लोहरदगा जिले के एक छोटे से गांव कुटमु से निकलकर एक युवक ने आज दुनिया में भारत का नाम रोशन करने की तैयारी कर ली है। नाम है सुमन प्रजापति, उम्र सिर्फ 27 साल, लेकिन हिम्मत ऐसी कि मुसीबतें भी हार मान जाएं।
वर्ष 2016 में एक दिन सब कुछ बदल गया। पेड़ से गिरने के हादसे ने सुमन को 75% दिव्यांग बना दिया। हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिया। जिंदगी मानो थम गई। लेकिन सुमन ने ठान लिया था वो अब भी हार नहीं मानेगा।
इसी दौरान एक दिव्यांग मित्र अजय ने उन्हें बोच्चिया बॉल नाम के खेल से परिचित कराया। खेल ने उन्हें एक नई दिशा दी, लेकिन एक नई चुनौती भी – बोच्चिया बॉल का सेट करीब 1.30 लाख रुपये का आता है! एक किसान परिवार से आने वाले सुमन के लिए यह सपना दूर की बात थी।
तभी आगे आया जिला प्रशासन और हिंडाल्को का CSR फंड। मदद मिली, दक्षिण कोरिया से गेंदें मंगवाई गईं, और शुरू हुआ सुमन का असली संघर्ष।
रिजल्ट?
2024 और 2025 की नेशनल बोच्चिया चैंपियनशिप में दो-दो सिल्वर मेडल। और अब, नवंबर 2025 में ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में होने वाली वर्ल्ड बोच्चिया चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं सुमन।
उनका अगला सपना है 2026 एशियन गेम्स और 2028 पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतना।
बोच्चिया एक खास खेल, खास खिलाड़ियों के लिए
यह इनडोर खेल खास तौर पर उन खिलाड़ियों के लिए है जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं। इसमें रंगीन गेंदों को एक सफेद गेंद (जैक बॉल) के पास फेंकना होता है। यह खेल मानसिक रणनीति, धैर्य और एकाग्रता का असली इम्तिहान है।
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