Patna : बिहार की राजधानी पटना के फुलवारीशरीफ स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब रेजिडेंट डॉक्टर अचानक हड़ताल पर चले गए। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने शिवहर के विधायक चेतन आनंद, उनकी पत्नी डॉ. आयुषी सिंह और उनके सुरक्षाकर्मियों द्वारा कथित तौर पर डॉक्टरों और सुरक्षा गार्ड पर हमले के विरोध में यह कदम उठाया है।
पटना AIIMS के डॉक्टर JDU विधायक चेतन आनंद के साथ हुए मारपीट के बाद अनिश्चित क़ालीन हड़ताल पर सभी कार्य बंद कर चले गये..! #patna #AIIMS pic.twitter.com/ECRGXwNili
— Mukesh singh (@Mukesh_Journo) August 1, 2025
क्या है पूरा मामला :
30 जुलाई की रात करीब 11 बजे एम्स पटना के ट्रॉमा सेंटर में विधायक चेतन आनंद, उनकी पत्नी और सशस्त्र सुरक्षाकर्मी कथित तौर पर जबरन घुस आए। रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि विधायक पक्ष ने सुरक्षा गार्ड के साथ मारपीट की, डॉक्टरों को जान से मारने की धमकी दी और अस्पताल परिसर में हथियार लहराया। एक सुरक्षा गार्ड को बंदूक की बट से मारा गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
डॉक्टरों का गंभीर आरोप
रेजिडेंट डॉक्टर्स ने कहा, “यह घटना न केवल अस्पताल की सुरक्षा पर सवाल उठाती है, बल्कि स्वास्थ्यकर्मियों की जान और सम्मान को भी खतरे में डालती है।” डॉ. शिशिर ने कहा, “डॉक्टरों को धमकाना गलत है। विधायक को माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।” हड़ताल के कारण अस्पताल की सभी वैकल्पिक (इलेक्टिव) सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गई हैं।
रेजिडेंट डॉक्टर्स की मांगें
आरडीए ने प्रशासन के समक्ष चार प्रमुख मांगें रखी हैं :
- विधायक चेतन आनंद, डॉ. आयुषी सिंह और उनके सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज हो।
- अस्पताल परिसर में स्थायी और पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किया जाए।
- अस्पताल प्रशासन घटना की सार्वजनिक निंदा करे और लिखित आश्वासन दे।
- स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए मजबूत प्रोटोकॉल लागू हो।
हड़ताल का अल्टीमेटम
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि 1 अगस्त की सुबह 9 बजे तक मांगें नहीं मानी गईं, तो आपात सेवाएं भी पूरी तरह ठप कर दी जाएंगी। आरडीए ने कहा, “हम मरीजों की सेवा को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन अपनी जान और सम्मान से समझौता नहीं कर सकते। सेवा बाधित होने की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
प्रशासन की चुप्पी
घटना के बाद अब तक न तो एफआईआर दर्ज हुई है और न ही प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की है। इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है और यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है।
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