New Delhi : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों से वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत और चीन ने अपने रिश्तों को नया आयाम देने का फैसला किया है। मंगलवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत दौरे के दौरान हुई उच्च-स्तरीय वार्ता में दोनों देशों ने सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने, सीमा पर शांति स्थापित करने, और व्यापार व निवेश बढ़ाने पर सहमति जताई है। यह कदम 2020 के सीमा विवाद के बाद तनावग्रस्त हुए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
सीधी उड़ानें और वीजा सुविधा पर सहमति
कोविड-19 महामारी के बाद से निलंबित सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, हालांकि इसकी तारीख अभी तय नहीं हुई है। दोनों देशों ने पर्यटकों, व्यवसायियों, मीडिया और अन्य आगंतुकों के लिए वीजा प्रक्रिया को सरल बनाने पर भी सहमति व्यक्त की है।
सीमा व्यापार को बढ़ावा
विदेश मंत्रालय के अनुसार, वांग यी की दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विशेष प्रतिनिधि स्तर की वार्ता और विदेश मंत्रियों की बैठक में कई मुद्दों पर सहमति बनी। दोनों पक्षों ने लिपुलेख, शिपकी ला, और नाथू ला दर्रों के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से शुरू करने का फैसला किया। साथ ही, व्यापार और निवेश को सुगम बनाने के लिए ठोस उपायों पर भी सहमति हुई।
सीमा पर शांति और सैनिकों की वापसी पर चर्चा
सीमा वार्ता में दोनों देशों ने हिमालयी सीमा पर तैनात सैनिकों को वापस बुलाने और सीमा सीमांकन पर विचार-विमर्श किया। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बताया कि दोनों पक्ष सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए एक कार्य समूह गठित करने पर सहमत हुए हैं। यह समूह सीमा के पूर्वी और मध्य हिस्सों को भी शामिल करेगा। पश्चिमी हिस्से पर जल्द ही एक और दौर की वार्ता होगी।
2026 में चीन में होगी अगली बैठक
बीजिंग ने कहा कि दोनों देश 2026 में चीन में फिर से मिलने पर सहमत हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात के बाद एक्स पर लिखा, “भारत और चीन के बीच स्थिर, पूर्वानुमानित और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति व समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।” बता दें, पीएम मोदी इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन का दौरा करेंगे, जो सात साल से अधिक समय में उनकी पहली चीन यात्रा होगी।
तिब्बत में बांध का मुद्दा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वांग यी के साथ बातचीत में तिब्बत में यारलुंग ज़ंगबो नदी पर बन रहे विशाल बांध को लेकर भारत की चिंताओं को उठाया। यह नदी भारत और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र बनकर लाखों लोगों की जीवनरेखा है। नई दिल्ली ने कहा कि इस बांध का निचले तटवर्ती क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। चीन ने मानवीय आधार पर संबंधित नदियों की जलविज्ञान जानकारी साझा करने पर सहमति जताई है।
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