Jamshedpur: जमशेदपुरवासियों के लिए यह गर्व का क्षण है। DBMS इंग्लिश स्कूल की पूर्व छात्रा निशा आनंद ने अफ्रीका की सर्वोच्च चोटी माउंट किलिमंजारो पर सफलतापूर्वक चढ़ाई कर शहर का नाम रोशन किया है। साहस और आत्मविश्वास की मिसाल बनीं निशा ने बचपन से ही खुद को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के लिए तैयार किया था।
उनके स्कूल के खेल शिक्षक सुरोजीत सिंह ने शुरुआती दिनों में ही उनके भीतर मौजूद साहसिकता को पहचान लिया था। छात्रा रहते हुए निशा ने उत्तरकाशी और गंगोत्री जैसे दुर्गम स्थानों की यात्राएं कीं, जिसने उनके पर्वतारोहण के जुनून को और बल दिया।
निशा की मां राजश्री आनंद बताती हैं कि महज छह वर्ष की उम्र में जब वह गंभीर रूप से घायल हुई थीं, तब भी उन्होंने डर नहीं दिखाया। बचपन से ही उनमें मुश्किल हालातों से जूझने का अद्भुत साहस था।
आज निशा सिर्फ एक पर्वतारोही नहीं, बल्कि एक सफल उद्यमी और मां भी हैं। वह अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में “कल्चर रूम बुटीक” नाम से एक फैशन स्टूडियो चला रही हैं, जो दक्षिण एशियाई विरासत और आधुनिक डिजाइन का सुंदर संयोजन प्रस्तुत करता है।
2024 में उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप की कठिन यात्रा पूरी की थी और अब माउंट किलिमंजारो की ऊंचाइयों को छूकर उन्होंने एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है।
अपनी इस सफलता के पीछे वे अनुशासन, समर्पण और पारिवारिक समर्थन को अहम मानती हैं। निशा कहती हैं, “हर चढ़ाई जीवन की तरह होती है—कठिन, अनिश्चित। लेकिन जब आप शिखर तक पहुंचते हैं, तो जो संतोष मिलता है, वह हर संघर्ष को अर्थ दे देता है।”
निशा आनंद का यह सफर न सिर्फ युवाओं को प्रेरणा देता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि अगर जुनून और मेहनत साथ हो, तो कोई भी शिखर दूर नहीं।