हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में सरकार ने हाई कोर्ट से की सुनवाई टालने की अपील, कोर्ट ने किया इंकार

रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े शेल कंपनी मामले में सरकार की ओर से हाई कोर्ट में दायर आइए को अदालत ने ठुकरा दिया है। मामले से जुड़े अधिवक्ता राजीव कुमार के अनुसार सरकार ने आइए के माध्यम से हाई कोर्ट से सुनवाई टालने का आग्रह किया था।

सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल के कोरोना पॉजिटिव होने को आधार बताकर सुनवाई टालने की मांग की गई थी। यह भी जानकारी दी गई है सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई है। अदालत ने सुनवाई टालने से साफ इंकार कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से सुनवाई न करने के आग्रह को नामंजूर किया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी।

उल्लेखनीय है कि मामला माइंनिंग लीज और आय से अधिक संपत्ति का मामला से जुड़ा है। सुनवाई चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एस एन प्रसाद की बेंच में चल रही है। दोनों मामलों के प्रार्थी शिव शंकर शर्मा हैं, जिनके अधिवक्ता राजीव कुमार हैं।

याचिका झारखंड हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ 11 फरवरी को जनहित याचिका दायर की गयी है। प्रार्थी शिव शंकर शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जिम्मे खनन और वन पर्यावरण विभाग भी हैं। उन्होंने स्वयं पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया और खनन पट्टा हासिल की। ऐसा करना पद का दुरुपयोग और जनप्रतिनिधि अधिनियम का उल्लंघन है। इसलिए इस पूरे मामले की सीबीआइ से जांच कराई जाए। प्रार्थी ने याचिका के माध्यम से हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग भी की है।