उड़ीसा हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, पशु परिवहन नियमों का उल्लंघन करने वालों को मवेशियों की कस्टडी देने से इनकार

मयूरभंज: ध्यान फाउंडेशन की याचिका पर संज्ञान लेते हुए उड़ीसा उच्च न्यायालय ने पशु परिवहन नियमों के उल्लंघन के कारण मवेशियों की कस्टडी मालिक को सौंपने से इनकार कर दिया है. अदालत वकील सिद्धार्थ लूथरा की अध्यक्षता वाले ध्यान फाउंडेशन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें समीक्षा अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें झूठे स्वामित्व दस्तावेजों और क्रूरता के सबूतों के बावजूद जब्त किए गए मवेशियों को विपरीत पक्ष को सौंप दिया गया था. ध्यान फाउंडेशन ने इन भूखी, प्यासी, बेरहमी से बांधी और ठूंसी हुई गोवंश को बचाया था, जिन्हें परिवहन विनियम, 1978 के सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए अवैध रूप से और बेहद अमानवीय तरीके से ले जाया जा रहा था.

ट्रायल कोर्ट के आदेश को किया गया था रद्द

इससे पहले, 1 नवंबर, 2023 को न्यायमूर्ति सिबो शंकर मिश्रा ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था और मामले को उसी अदालत में भेज दिया था, जिसमें कहा गया था कि समीक्षा अदालत ने पशुधन के स्वामित्व और मालिक द्वारा जानवरों के प्रति क्रूरता में खामियां पाई थीं. किए गए अपराध को ध्यान में रखते हुए अदालत ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया और समीक्षा याचिका पर फिर से फैसला करने के लिए मामले को उसी अदालत में भेज दिया.

मालिक की याचिका को खारिज

मवेशियों की दयनीय स्थिति को देखते हुए, स्थानीय पुलिस ने मवेशियों को तत्काल देखभाल, सुरक्षा और रखरखाव के लिए डीएफ को सौंप दिया था. लेकिन पुलिस ने मवेशियों का कोई स्वास्थ्य निरीक्षण या चिन्हीकरण नहीं किया. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मालिक की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसे वह जिला और सत्र न्यायाधीश, मयूरभंज बारीपदा के पास ले गया था, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों और जानवरों के प्रति क्रूरता को स्पष्ट रूप से नजरअंदाज करते हुए उसके पक्ष में फैसला सुनाया था.

उच्च न्यायालय ने समीक्षा न्यायालय के फैसले की आलोचना की

उच्च न्यायालय ने समीक्षा न्यायालय के फैसले की आलोचना की और आदेश दिया कि याचिका की समीक्षा के लिए मामला उन्हें वापस कर दिया जाए. वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने अपनी बात को तथ्यों के साथ साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और कानून की मदद से गौवंश को आरोपियों के पास जाने से रोकने में कामयाब रहे. यह गंभीर चिंता का विषय है कि निचली अदालत के कुछ न्यायाधीश कानून के प्रावधानों की पूरी तरह से अनदेखी कर रहे हैं और पशु तस्करों के पक्ष में आदेश जारी कर रहे हैं. जस्टिस मिश्रा का यह आदेश सभी के लिए खतरे की घंटी है.

डीएफ गोवंश के अत्याचार से बचाने वाला एकमात्र गैर सरकारी संगठन 

आपको बता दें कि ध्यान फाउंडेशन (डीएफ) एकमात्र गैर सरकारी संगठन है जो गोवंश को अत्याचारपूर्ण, अमानवीय और अवैध वध से बचाने के लिए कई वर्षों से काम कर रहा है. यह एकमात्र संगठन है जो सीमा पर बीएसएफ द्वारा जब्त किए गए पशुओं को आश्रय और देखभाल प्रदान करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का समर्थन करता है. वर्तमान में, यह संगठन देशभर में अपनी 47 से अधिक गौशालाओं में 80,000 से अधिक गायों की देखभाल करता है.

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