Patna : बिहार में वोटर लिस्ट (Special Intensive Revision) सुधार को लेकर हो रहे विरोध पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान हमारे लोकतंत्र की “मां” है और स्वच्छ वोटर लिस्ट एक मजबूत लोकतंत्र की नींव है।
आयोग का तर्क – मृतक और डुप्लिकेट वोटर क्यों हों सूची में?
CEC ने सवाल उठाते हुए कहा – “क्या चुनाव आयोग को मृत वोटरों को वोट देने देना चाहिए?” “क्या डुप्लिकेट वोटर कार्ड या विदेश में रहने वाले लोगों को वोटर लिस्ट में बने रहना चाहिए?”
उन्होंने यह साफ किया कि वोटर लिस्ट से मृत, डुप्लिकेट और अनुपलब्ध मतदाताओं को हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह कानूनी और पारदर्शी है।
Election Commission of India questions its critics, saying, “The Constitution of India is the mother of Indian democracy….So, fearing these things, should the Election Commission, getting misled by some people, pave the way for some to cast fake votes in the name of deceased… pic.twitter.com/CMowZNCdKI
— ANI (@ANI) July 24, 2025
विपक्ष का आरोप
राजद और कांग्रेस जैसे दलों ने आरोप लगाया है कि इस प्रक्रिया से 50 लाख से ज्यादा मतदाता वोट देने के अधिकार से वंचित हो जाएंगे। उनका कहना है कि यह कदम चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
आयोग की सफाई
चुनाव आयोग ने बताया है कि बिहार में अब तक 56 लाख मतदाता अयोग्य पाए गए हैं:
- 20 लाख लोग मृत हैं
- 28 लाख लोग राज्य से बाहर चले गए
- 7 लाख लोग दो जगह पंजीकृत हैं
- 1 लाख मतदाताओं का पता ही नहीं चला
CEC ने कहा कि निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी है कि वोटर लिस्ट में सिर्फ सही और सक्रिय नागरिक शामिल हों।
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