एम्स का उद्घाटन टलने पर झारखंड ने केंद्र को कोसा, देवघर एयरपोर्ट के नाम पर भी सियासत

रांची: संथाल परगना के देवघर में 2013 में एम्स की स्थापना की स्वीकृति दी गई थी, जो पांच साल के निर्माण के बाद अब बनकर तैयार हुआ है, लेकिन अब भी इसके शुरू होने का इंतज़ार बरकरार है. उद्घाटन को लेकर तारीख मुकर्रर हो गई थी, लेकिन अचानक केंद्रीय आर्थिक सलाहकार नीलांभुज शरण के द्वारा ये पत्र भेज कार्यक्रम को अपरिहार्य कारणों से निरस्त कर देने की सूचना दी गई तो इस मुद्दे को लेकर राज्य में राजनीति गरमा गई. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने इसके पीछे राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया तो वहीं, जेएमएम ने इस पूरे मामले में केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए गोड्डा सांसद निशिकान्त दुबे पर हमला किया.

जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बताया कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बनाए गए एम्स का लाभ कोरोना महामारी में झारखंड के लोगों को नहीं मिल सका. इससे साफ है कि केंद्र सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है. कोविड काल में नियमों के कारण पूरे कार्यक्रम को वर्चुअल तरीके से करने की बात कही गई थी, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सहमति दे दी थी. लेकिन, 24 जून को शरण के एक पत्र में पूरे कार्यक्रम को टालने का फरमान आ गया

अब इस पूरे मामले में शरण के पत्र भेजे जाने को लेकर जेएमएम ने केंद्र सरकार को घेरा है. जेएमएम ने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पताल पर वही केंद्र सरकार राजनीति कर रही है, जो कोरोना महामारी को अघोषित आपातकाल कहती है. यही नहीं, सांसद निशिकांंत दुबे को भी भट्टाचार्य ने आड़े हाथों लेकर उनके बर्ताव की आलोचना की. एम्स ही नहीं, राज्य के अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भी इन दिनों सियासत कम नहीं है.

बनकर तैयार देवघर के एयरपोर्ट पर भी भट्टाचार्य ने बताया कि उद्घाटन सावन के पहले सोमवार को किए जाने और इस एयरपोर्ट का नाम बाबा बैजनाथ के नाम पर रखे जाने संबंध में राज्य ने केंद्र से मांग की थी. मीडिया से बातचीत करते हुए भट्टाचार्य ने इस मांग को लेकर दबाव बनाते हुए कहा कि यह कार्यक्रम भी इस तरह नहीं किया जात है, तो बाबा बैजनाथ में आस्था रखने वाले भक्तों का अपमान होगा.


इसके अलावा, जेएमएम ने मैनहार्ट घोटाले पर भी तल्खी दिखाते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और हरमू नदी को बनाने वाले व सीवरेज और ड्रेनेज के भीतर घुसे सभी लोगों को बाहर निकाला जाएगा.