Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    16 Jun, 2025 ♦ 2:10 AM
    • About Us
    • Contact Us
    • Webmail
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Telegram WhatsApp
    Johar LIVEJohar LIVE
    • होम
    • देश
    • विदेश
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुड़
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सराइकेला-खरसावां
      • साहेबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • राजनीति
    • बिहार
    • कारोबार
    • खेल
    • सेहत
    • अन्य
      • मनोरंजन
      • शिक्षा
      • धर्म/ज्योतिष
    Johar LIVEJohar LIVE
    Home»झारखंड»आस्था, विश्वास व परम्पराओं की अनूठी मिसाल, 9 नहीं यहां 16 दिनों की होती है नवरात्र
    झारखंड

    आस्था, विश्वास व परम्पराओं की अनूठी मिसाल, 9 नहीं यहां 16 दिनों की होती है नवरात्र

    Team JoharBy Team JoharOctober 21, 2023Updated:October 21, 2023No Comments8 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Email Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Email Copy Link

    मंदिर से मजार पर जाता है झंडा

    रांची : हर तरफ नवरात्रि की धूम है, लोग त्योहार के उत्सव में डूबे है. लेकिन एक ऐसी जगह है जहां 9 नहीं बल्कि पूरे 16 दिनों तक नवरात्र मनाया जाता है. और मलमास हो तो 45 दिन का. जी हां कहा जाता है कि ये जगह आस्था विश्वास व परम्पराओं की अनूठी मिसाल पेश करता है. आइए बात करते है उस जगह की जहां अबतक एक भी पक्का छत तक नहीं है.

    मंदिर में अनुसूचित जाति, जनजाति के साथ मुसलमान भी करते है पूजा

    रांची से लगभग सौ किलोमीटर दूर जंगल, पहाड़, घाटी, झरने या कहें अपने प्राकृतिक आभूषण से लबरेज लातेहार जिला के चंदवा के नगर भगवती उग्रतारा मंदिर जहां 16 दिनों तक देवी की आराधना की जाती है. इस मंदिर में महज एक-सवा इंच की मूर्ति है, जो सात मीटर कपड़े में लिपटी हुई है. मंदिर में तस्‍वीर लेने की इजाजत नहीं है. अनूठापन यह भी कि यहां ब्राह्मण के साथ अनुसूचित जाति, जनजाति आदि के साथ मुसलमान भी पूजा-परंपरा के हिस्‍सा हैं, भागीदार हैं. मंदिर से निकलने वाला एक झंडा अनिवार्य रूप से मजार पर भी लगता है. पूजा की अपनी विधि है जो 500 साल पहले हस्‍तलिखित पुस्‍तक के अनुसार ही होती है. उसके पन्‍ने अभी भी पूरी तरह सुरक्षित और अक्षर चमकदार है. प्रतिलिपि बनाने की विधि भी उसी में दर्ज है. नगर भगवती उग्रतारा मंदिर एक ख्‍यात तंत्र पीठ के रूप में इसकी पहचान है.

    पांच सौ साल से अधिक प्राचीन है ये मूर्ति

    कहा जाता है कि पांच सौ साल से अधिक प्राचीन मूर्ति यानी राजा पीतांबर शाही के समय से यहां किसी मकान पर पक्‍का छत तक लोग नहीं बनाते थे. पिछले आठ-दस सालों में यह परंपरा टूटी है.

    राजधानी रांची से जाने का रास्ता

    आप रांची से जा रहे हैं तो आप को आमझरिया की हसीन, सर्पीली घाटी से भी साक्षात्‍कार होगा. रांची से करीब 100 किलोमीटर दूर लातेहार जिला के टोरी रेलवे स्‍टेशन से थोड़ा आगे है चंदवा का नगर मंदिर. पूरा इलाका नक्‍सलियों का गढ़ रहा है. ध्यान देने वाली बात है कि अमझरिया घाटी लूट, सड़क दुर्घटना के कारण  जाना जाता है.

    मंदिर को लेकर प्रचलित कहानी

     

    मंदिर के पुजारी सुरेंद्र मिश्र कहते हैं कि ”पांच सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वज पंचानन मिश्र आये थे. आरा से मां और बेटे चले थे. रास्‍ते में सफेद साड़ी पहने स्‍त्री मिली. उन्होंने कहा कि यहां भटकना नहीं पड़ेगा. यहां एक राजा रहते है. उन्हीं के कहे अनुसार टोरी के गढ़ राजा के पास पहुंचे. जो वर्तमान नगर मंदिर के पीछे था. हालांकि अब अवशेष भी गायब है. उस वक्त राजा पीतांबर शाही लड़ाई में गये हुए थे. मंदिर के बगल में कुआं है जहां से राजा की दाई पानी लेकर जा रही थी. उसने रानी को बताया कि एक ब्राहृमण और ब्राह्मणी कुआं के पास हैं. पहले राजदरबार में ब्राह्मणों का बहुत कद्र था. ये सुनते ही रानी का सवाल था, लड़ाई में राजा गये हैं लौटेंगे या नहीं. उत्‍तर हां में दिया गया. मां रात में बोली भाग चलो बेटा, राजा नहीं लौटा तो क्‍या होगा कहना मुश्किल है. गढ़ से निकलने के सात द्वार थे. अभी मंदिर जाने वाला सिंह द्वार शेष रह गया है. उन द्वारों के किनारे खाई थी. मां-बेटा दक्षिण के द्वार से जहां पहरेदार सोया हुआ था वहां से निकले.

    लोहरदगा के मार्ग पर महादेव मंडा वहीं रूके. इधर चार बजे भोर में राजा लौटे, रानी बोली भीतर नहीं प्रवेश करेंगे, जब तक पंडित को ‘कुछ’ दे नहीं देते. खोज होने लगी तो लौटे हुए सैनिकों को छह कोस तक खोजने को कहा. मां-बेटे पकड़े गये. मां ने कहा मेरे पास सिर्फ ये आभूषण हैं लेकर छोड़ दो. वे नहीं माने और राजा के सामने पेश किया. मां के साथ जो बेटा था वह पंचानन मिश्र थे. उसी समय राजा ने वहीं राजा ने उन्‍हें पुजारी के रूप में नियुक्‍त किया. यानी उस समय मूर्ति थी.

    यहां से आई मूर्ति

    सुरेंद्र मिश्र कहते हैं कि मूर्ति पीतांबर शाही को ही मिली थी. लातेहार के पास मक्‍कामनकेरी जगह है वहां दो तालाब थे. उसे गढ़ एरिया कहा जाता है, ईंट के कुछ दीवार अभी भी हैं. राजा शिकार के लिए जाते थे तो वहीं ठहरते होंगे. रात में शिकार के बाद सोये तो स्‍वप्‍न हुआ कि हमलोग यहां हैं तुम्‍हारी भक्ति से प्रसन्‍न हैं तुम्‍हारे राज्‍य में चलेंगे. राजा स्‍नान के लिए गये तालाब में गये डुबकी लगाई तो हाथ में दो मूर्तियां आ गईं. उसे वे अपने गढ़ में ले आये. दो मूर्ति है पत्‍थर की. उग्र तारा और महालक्ष्‍मी की. नीले रंग की उग्र तारा और काले रंग की महालक्ष्‍मी की. आकार एक सवा इंच है. सफेद वस्‍त्र पहनाने की परंपरा है. सात मीटर की साड़ी होती है.

    मजार पर लगता है झंडा, मुसलमान करते हैं पूजा

    मंदिर से मुसलमानों का भी जमाने से गहरा जुड़ाव है. मंदिर में जो नगाड़ा बजाया जाता है उसकी व्‍यवस्‍था का जिम्‍मा मुसलमानों के पास है. मंदिर के पीछे यानी पूरब की तरफ मदार शाह की मजार है. कहते हैं कि मदार शाह नगर भगवती के अनन्‍य भक्‍त थे. वहीं मजार पर भैंसे की बली पड़ती है. मदार शाह के नाम पर ही पहाड़ी को मदागिर पहाड़ी कहा जाता है. बली के बाद निकले भैंस के चमड़े से मंदिर का नगाड़ा बनता है. चकला गांव के मुस्लिम ही बली देते हैं. जब नगाड़ा बन जाता है तो पहाड़ी के नीचे बड़ के पेड़ के पास एक बकरा और एक बकरी की बली दी जाती है.

    मुसलमान ही ये बली देते हैं और बड़ के पेड़ के पास नगाड़ा की पूजा करते हैं. तब नगाड़ा मंदिर आता है. विजया दशमी के समय मंदिर में पांच झंडा मंदिर में लगता है, छठा सफेद झंडा ऊपर मदार शाह के मजार पर लगता है. वह मंदिर से ही जाता है. यह पुरानी परंपरा है, अवश्‍य जाना ही है.

    अनुसूचित जाति से आने वाले घासी जिन्‍हें नायक भी कहते हैं इन्हीं का काम नगाड़ा बजाना, दुर्गा पूजा के समय मछली, बेलपत्र आदि लाना होता है. यहां काड़ा यानी भैंसे की बली की भी परंपरा है. मंदिर प्रबंधन काड़ा खरीदकर लाता है तो उसे घासी चारा खिलाते हैं. काड़े की बलि गंझू समाज के लोग देते हैं. राजा के समय से कुछ जमीन मिली हुई है. आदिम जनजाति के परहिया जाति के लोग भी मंदिर से जुड़े हैं. बांस लाना, झंडा गाड़ना, मंदिर और मजार दोनों स्‍थानों पर, इन्‍हीं का काम है.

     मिला था 16 गांव

    सुरेंद्र मिश्र बताते हैं कि पुजारी नियुक्‍त होने के बाद हमारे पूर्वज यानी पंचानन मिश्र को राजा की ओर से 16 गांव दिये गये थे. पंचानन मिश्र लिखित पुस्‍तक से ही शारदीय नवरात्र पूजा पद्धति है. 500 पन्‍ने की पुस्‍तक के पन्‍ने अभी भी सुरक्षित हालत में हैं. अक्षर भी चमकदार. कैथी लिपि में संस्‍कृत में स्‍लोक है.

    16 दिनों का होता है नवरात्र

    यहां नवरात्र 16 दिनों का होता है. मातृ नवमी को कलश स्‍थाना की जाती है और बिहार के औरंगाबाद से राजा के प्रतिनिधि स्‍वरूप एक ब्राह्मण को रखते हैं. विजयादशमी को पान चढ़ता है. जब पान गिरता है तब समझा जाता है कि भगवती की अनुमति हो गई और विसर्जन होता है. मलमास लगा तो नवरात्र 45 दिन. जिस पंडित जी को बुलाते हैं व्रत में सुबह शर्बत और शाम में तिकुर का हलवा खाते हैं. कोई फल नहीं खाते. राजा के समय की परंपरा का पालन करने की कोशिश करते हैं.

    नहीं बनता पक्‍का मकान

    मंदिर को छोड़ आस पास नगर भर में और चकला गांव में पक्‍का मकान नहीं था. अब यह परंपरा टूट रही है. 2014-15 से कुछ लोग ढलइया कराकर मकान बनाने लगे हैं. गांव की आय से मंदिर की व्‍यवस्‍था होती है. सरकारी व्‍यवस्‍था बदली तो 1961 से तय हुआ कि दस आना सरकार का और छह आना मंदिर का.

    बाघ भी आता था

    जंगली इलाका होने और बली के कारण संभव है शेर-बाघ का आकर्षण रहा हो. मगर यहां के लोगों की मान्‍यता है कि भगवती के प्रभाव से यहां बाघ आते रहे है. सुरेंद्र मिश्र कहते हैं कि दुर्गा पूजा के दौरान दस दिन यहां रहने के लिए झोंपड़ी बनती थी. हम बाघ की आवाज सुनते थे. बलि का सिर लेकर बाघ चला जाता था किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था. खुद उन्‍हें बचपन का किस्‍सा याद है… एक बार जब ये लोग सोये हुए थे बड़ा बाघ सोये हुए तमाम लोगों को छलांग मारकर पार करता हुआ चला गया था. वे कहते हैं कि बाघ अभी भी है, किसी किसी को दिखाई देता है. एक दशक पहले एक ग्रामीण ने उसे मारने की कोशिश की थी मगर कामयाब नहीं रहा.

    इसे भी पढ़ें: पानीपुरी खाकर 40 लोग बीमार, 30 बच्चे भी शामिल, अस्पताल में मची भागदौड़

    #Jharkhand News City News Current News Daily News jharkhand Johar Live Latest news Local News Main News News Headline ranchi Today's News आज की खबर करंट न्यूज जोहार लाइव झारखंड की खबर झारखंड न्यूज झारखण्ड डेली न्यूज ताजा खबर न्यूज हेडलाइन मुख्य समाचार रांची लेटेस्ट न्यूज सिटी न्यूज स्थानीय खबर
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Instagram Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Telegram WhatsApp Email Copy Link
    Previous Articleनदी में डूब गया घर का चिराग, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
    Next Article पुलिस संस्मरण दिवस पर शहीदों को दी श्रद्धांजलि, परिजनों काे किया सम्मानित

    Related Posts

    झारखंड

    भ्रष्टाचार से लड़ते-लड़ते हार गए सुखलाल महतो : विधायक जयराम महतो

    June 15, 2025
    झारखंड

    पुलिस पर वार करने वालों की निकली गयी हेकड़ी

    June 15, 2025
    ट्रेंडिंग

    काशी कॉरिडोर के रेड जोन में नजर आए तेजप्रताप यादव, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप

    June 15, 2025
    Latest Posts

    भ्रष्टाचार से लड़ते-लड़ते हार गए सुखलाल महतो : विधायक जयराम महतो

    June 15, 2025

    पूर्व CM विजय रूपाणी का DNA सैंपल हुआ मैच, कल राजकोट में होगा अंतिम संस्कार

    June 15, 2025

    पुलिस पर वार करने वालों की निकली गयी हेकड़ी

    June 15, 2025

    जब तक समाज लोकतंत्र में पूरी भागीदारी नहीं करेगा, उनके अधिकार अधूरे रहेंगे : केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी

    June 15, 2025

    काशी कॉरिडोर के रेड जोन में नजर आए तेजप्रताप यादव, वायरल वीडियो से मचा हड़कंप

    June 15, 2025

    © 2025 Johar LIVE. Designed by Forever Infotech.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.