झारखंड सशस्त्र पुलिस का 140 वां स्थापना दिवस मनाया गया, डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा-जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा

Joharlive Team

रांची। राजधानी रांची के डोरंडा स्थित जैप-एक ग्रांउड में झारखंड सशस्त्र पुलिस का 140 वां स्थापना दिवस रविवार को धूमधाम से मनाया गया। स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड के डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है। यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देखकर जैप वन का नाम बुलंद किया है। उन्होंने कहा कि वीआइपी सुरक्षा या फिर नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने की बात हो तो उसमें अगर गोरखा जवानों की बात नहीं की जाए तो यह कहानी अधूरी रह जाती है। झारखंड में पिछले 140 सालों से गोरखा के जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं। झारखंड के सभी वीवीआइपी की सुरक्षा का जिम्मा भी जैप वन के जवानों के जिम्मे है।

डीजीपी ने कहा कि यह बल उन्हें गौरव प्रदान करती है। आज इस फोर्स का 140वां स्थापना दिवस है।  जैप के पाइप बेंड डिस्प्ले ने रेड के माध्यम से डीजीपी सहित सभी मुख्य अतिथियों को सलामी दी।

तीन दिवसीय आनंद मेले का उद्घाटन

स्थापना दिवस समारोह के बाद डीजीपी कमल नयन
चौबे, डीजी मुख्यालय पीआरके नायडू और अतिथियों ने जैप वन ग्राउंड में ही लगे तीन दिवसीय आनंद मेले का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया। मेले के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डीजीपी ने भी खरीदारी की।  मौके पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इसके अलावा विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया। जिसमें खाने-पीने से लेकर हस्तनिर्मित सामान के अलावा घरेलू उपयोग में आने वाले सामान भी शामिल हैं। इसके अलावा कार से लेकर स्कूटर व बाइक से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के स्टॉल लगाये गये हैं। मेले में नेपाल की खुकरी, जैकेट, जूते सहित दार्जिंलंग के भी स्टॉल आकर्षण का केंद्र हैं। हर दिन सुबह 10 बजे से रात 8 बजे तक मेला खुला रहेगा। इसमें पुलिस परिवार के लोगों के अलावा आम लोग इसका आनंद ले सकते हैं। बच्चों के लिए झूल भी लगाये गये हैं। जिसमें ड्रैगन, ब्रेक डांस, जंपिंग रोप शामिल हैं। मेले में पुलिस परिवार के सदस्यों की ओर से भी स्टॉल लगाए गए हैं। मेले में 90 स्टॉल लगाये गये हैं। मेले में जाने के लिए कोई शुल्क नहीं है।

उल्लेखनीय है कि जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस वाहिनी की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी। वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया। इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल एवं ओड़िशा को मिलाकर की जाती रही।

वर्ष 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया। राज्य के अन्य स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में मिलाया गया। देश में स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था। इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही। यहां तक कि वर्ष 1971 में भारत पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यो के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था। उस वक्त साहसपूर्ण कार्यो के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से अलंकृत किया था।

वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गयी। जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था। वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस रखा गया था। वर्ष 2004 व 2011 में इस वाहिनी के बिगुलर व बैंड पार्टी ने अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान प्राप्त किया था।