Johar Live Desk : सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को उस समय हंगामा मच गया, जब एक वकील ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह घटना तब हुई जब CJI की बेंच केसों की सुनवाई कर रही थी। जूता बेंच तक नहीं पहुंचा और सुरक्षाकर्मियों ने वकील को तुरंत पकड़ लिया। कोर्ट से बाहर जाते समय वकील ने नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
CJI का शांत रवैया : ‘मुझे इनसे फर्क नहीं पड़ता’
घटना के बाद CJI गवई ने कोर्ट में मौजूद वकीलों से शांति बनाए रखने और दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा, “इससे परेशान न हों, मैं भी परेशान नहीं हूं। ऐसी चीजें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।” उनकी शांत प्रतिक्रिया ने कोर्ट की गरिमा को बरकरार रखा।
आरोपी वकील : राकेश किशोर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर है, जो 2011 से सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का रजिस्टर्ड सदस्य है। माना जा रहा है कि वह CJI की 16 सितंबर की टिप्पणी से नाराज था, जो मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली की याचिका पर थी।

खजुराहो मूर्ति विवाद
16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची खंडित मूर्ति की बहाली की याचिका खारिज कर दी थी। CJI ने कहा था, “जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कट्टर भक्त हो, तो उनसे प्रार्थना करो।” कोर्ट ने कहा कि मूर्ति उसी हालत में रहेगी और भक्त दूसरे मंदिर में पूजा कर सकते हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि मूर्ति मुगल आक्रमणों में खंडित हुई थी और श्रद्धालुओं के पूजा के अधिकार के लिए बहाली जरूरी है। इस फैसले से कुछ लोग नाराज थे।
CJI की सफाई : ‘मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं’
18 सितंबर को CJI गवई ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा, “मेरी बात को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।” बेंच के जस्टिस विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को “एंटी-सोशल मीडिया” कहा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।” सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि सोशल मीडिया से वकीलों को रोज परेशानी होती है।
VHP की अपील : ‘न्यायालय में संयम रखें’
विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा, “न्यायालय न्याय का मंदिर है। समाज का उस पर विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास मजबूत हो। वाणी में संयम रखें, खासकर कोर्ट में। यह जिम्मेदारी याचिकाकर्ताओं, वकीलों और न्यायाधीशों की है।”
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