Patna : लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इन दिनों बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाल रहे हैं। इस यात्रा का उद्देश्य मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण के दौरान कथित तौर पर हटाए गए मतदाताओं के नामों को लेकर जागरूकता फैलाना और उनकी समस्याओं को उठाना बताया जा रहा है। इस यात्रा में महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों के नेता भी शामिल हैं। लेकिन, इस बीच चुनाव आयोग ने एक हैरान करने वाला खुलासा किया है, जिसने इस यात्रा के मकसद पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार सुबह जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि 1 अगस्त (दोपहर 3 बजे) से 22 अगस्त (सुबह 9 बजे) तक किसी भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने के संबंध में कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं की। आयोग के अनुसार, नियमानुसार दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित ERO/AERO द्वारा सात दिनों की अवधि समाप्त होने के बाद किया जाता है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि राजनीतिक दल अपनी आपत्तियां पत्र के माध्यम से दर्ज करा सकते हैं।
इस खुलासे के बाद सवाल उठने शुरू हो गए हैं कि क्या राहुल गांधी की यह यात्रा वास्तव में मतदाताओं की समस्याओं को हल करने के लिए है या इसके पीछे बिहार में कांग्रेस की स्थिति को समझने और गठबंधन की रणनीति तैयार करने का मकसद है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस यात्रा के जरिए कांग्रेस बिहार में अपनी जमीन तलाशने और यह समझने की कोशिश कर रही है कि कहां अपने उम्मीदवार उतारने चाहिए और कहां गठबंधन पर निर्भर रहना होगा।
यात्रा का छठा दिन : भागलपुर में सभा और रोड शो
वोटर अधिकार यात्रा के छठे दिन शुक्रवार को राहुल गांधी भागलपुर पहुंचेंगे। उनके साथ तेजस्वी यादव और वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी भी होंगे। कार्यक्रम के अनुसार, राहुल गांधी पहले मुंगेर में एक सभा को संबोधित करेंगे। इसके बाद उनका काफिला सुल्तानगंज होते हुए अकबरनगर पहुंचेगा, जहां वे करीब दो घंटे रुकेंगे। फिर वे भागलपुर के लिए रवाना होंगे, जहां 52 किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला जाएगा।
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