Patna : बिहार में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए जल संसाधन विभाग ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय जल आयोग की स्क्रीनिंग कमेटी ने बागमती नदी पर दो और महानंदा नदी पर एक बराज बनाने की प्रारंभिक रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। दिल्ली में हुई उच्च स्तरीय बैठक में बागमती पर ढेंग (सीतामढ़ी) और कटौंझा (मुजफ्फरपुर) तथा महानंदा पर तैयबपुर (किशनगंज) में बराज निर्माण को हरी झंडी मिली है। इससे बिहार में बराजों की संख्या बढ़कर 6 हो जाएगी।
बराजों का महत्व
वर्तमान में बिहार में कोसी और सोन नदियों पर बराज हैं, लेकिन उत्तरी बिहार की बागमती और महानंदा नदियां हर साल बाढ़ का कारण बनती हैं। नए बराज नेपाल से आने वाले पानी को नियंत्रित करेंगे। ढेंग और कटौंझा बराज से हजारों हेक्टेयर जमीन को बाढ़ से बचाया जा सकेगा, जबकि तैयबपुर बराज सीमांचल क्षेत्र को सुरक्षित करेगा। ये परियोजनाएं लाखों लोगों को बाढ़ से राहत देंगी और सिंचाई व पीने के पानी की आपूर्ति में सुधार लाएंगी।
आगे की योजना
जल संसाधन विभाग अब विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने में जुट गया है ताकि निर्माण कार्य जल्द शुरू हो सके। जल मंत्री विजय कुमार चौधरी ने बताया कि DPR तैयार होने के बाद केंद्र सरकार से फंडिंग की मांग की जाएगी। इसके अलावा कोसी पर डागमारा, गंडक पर अरेराज, सकरी पर बकसोती, मसान-अवसाने पर बराज, कमला नहर उन्नयन, सोन के इंद्रपुरी बराज का अपग्रेड और नाटा वीयर को बराज में बदलने की योजनाएं भी चल रही हैं।

किसानों और क्षेत्र को फायदा
ये बराज न केवल बाढ़ को रोकेंगे, बल्कि सूखे इलाकों में पानी पहुंचाकर खेती को बढ़ावा देंगे। खासकर सीमांचल और तिरहुत प्रमंडल के किसानों को इसका बड़ा लाभ मिलेगा, जहां बाढ़ हर साल फसलों को नुकसान पहुंचाती है। विभाग का लक्ष्य 2026 तक निर्माण शुरू करने के लिए DPR को जल्द अंतिम रूप देना है।
बिहार के लिए नया द्वार
ये परियोजनाएं बिहार के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए मील का पत्थर साबित होंगी। बाढ़ से राहत और खेती के लिए पानी की उपलब्धता से राज्य में समृद्धि का नया अध्याय शुरू होगा।
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