Delhi : कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर गाज़ा और ईरान पर चुप्पी साधने को लेकर तीखा प्रहार किया है.उन्होंने कहा कि यह चुप्पी केवल भारत की आवाज़ खोने का मामला नहीं, बल्कि देश के नैतिक मूल्यों और कूटनीतिक परंपराओं का भी आत्मसमर्पण है.उन्होंने कहा कि भारत ने वर्षों तक फिलिस्तीन-इज़राइल विवाद पर दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन किया है, लेकिन अब सरकार इस सिद्धांत से पीछे हट रही है.‘द हिंदू’ अख़बार में छपे अपने लेख ‘अब भी भारत की आवाज़ सुनी जा सकती है’ में सोनिया गांधी ने लिखा कि भारत को चाहिए कि वह स्पष्ट रूप से अपनी राय रखे, जिम्मेदारी से कार्य करे और सभी कूटनीतिक माध्यमों का उपयोग कर पश्चिम एशिया में शांति बहाली के लिए पहल करे. उन्होंने कहा कि भारत को इस समय चुप नहीं रहना चाहिए, क्योंकि उसका वैश्विक प्रभाव और नैतिक आधार इससे कमजोर हो रहा है.
ईरान पर इज़राइली हमले को बताया गंभीर संकट
सोनिया गांधी ने 13 जून 2025 को ईरान पर इज़राइल द्वारा किए गए हमले को ‘अवैध और गहराई से परेशान करने वाला’ करार दिया. उन्होंने कहा कि यह हमला ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है और इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों से स्थिरता नहीं, बल्कि अस्थिरता और संघर्ष को बढ़ावा मिलेगा.
गाज़ा में इज़राइल की प्रतिक्रिया को अमानवीय
गांधी ने लिखा कि हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को किए गए हमलों की कांग्रेस ने स्पष्ट रूप से निंदा की थी, लेकिन इसके जवाब में इज़राइल द्वारा गाज़ा में चलाया गया निर्दयी और असमानुपातिक अभियान भी उतना ही निंदनीय है.उन्होंने कहा कि इस संघर्ष में अब तक 55,000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिसमें बच्चे, महिलाएं और निर्दोष नागरिक शामिल हैं. गाज़ा भुखमरी और मानवीय त्रासदी के कगार पर है.गांधी ने लिखा कि ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है और उसने कश्मीर मुद्दे पर भी भारत का समर्थन किया था. 1994 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में जब भारत पर प्रस्ताव लाया गया था, तब ईरान ने भारत के पक्ष में रुख अपनाया था.उन्होंने कहा कि इस्लामिक गणराज्य ईरान भारत के लिए हमेशा सहयोगी रहा है, जबकि उसके पूर्ववर्ती शासन (इंपीरियल ईरान) ने 1965 और 1971 में पाकिस्तान का समर्थन किया था.
भारत की भूमिका
सोनिया गांधी ने भारत की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर ज़ोर देते हुए कहा कि भारत के पास इस्राइल और अरब देशों दोनों से अच्छे संबंध हैं और लाखों भारतीय वेस्ट एशिया में रहते हैं. ऐसे में भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वह शांति और संवाद का पुल बने. उन्होंने कहा कि यह केवल एक सैद्धांतिक मसला नहीं बल्कि भारत के राष्ट्रीय हित से भी जुड़ा हुआ है.
अमेरिका और नेतन्याहू पर भी निशाना
गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों की भी आलोचना की और उन्हें ‘तथ्यहीन और भ्रामक’ बताया. साथ ही उन्होंने कहा कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का रिकॉर्ड भी उग्रवाद और शांति को विफल करने वाला रहा है.उन्होंने कहा कि नेतन्याहू संवाद की बजाय संघर्ष का रास्ता चुनते हैं, जिससे क्षेत्र और भी अस्थिर हो रहा है.
Also Read : CBI ने RSETI के डायरेक्टर को 20 हजार रुपए घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा