सभी मनोरथों का सिद्धिदात्री : पुरषोत्तम माह, भगवान विष्णु का पूजन विशेष फल दायी

Joharlive Team

पुरुशुक्त श्रीशुक्त और रुद्रशुक्त विशेष लाभदायी।

सर्वार्थसिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग लेकर आ रहा है पुरुषोत्तम माह- 18 सितम्बर शुक्रवार से उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में शुरू हो रहे अधिक मास ( पुरुषोत्तम माह) के आखिरी दिन 17 अक्टूबर तक खास मुहूर्त और योग बन रहें हैं। अधिक माह का पहला दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शुक्ल योग में शुरू हो जो अत्यंत शुभकारी है। सर्वार्थसिद्धि योग”-
ये योग सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और हर काम में सफलता देने वाला योग है। 26 सितंबर एवं 1, 2, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर 2020 तक ये योग रहेगा।
“अमृतसिद्धि योग” –
अमृतसिद्धि योग में किए गए कामों का शुभ फल दीर्घकालीन होता है। 2 अक्टूबर 2020 को अमृतसिद्धि योग रहेगा।
पुष्य नक्षत्र-
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि इस बार अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा। इस योग में कोई भी आवश्यक शुभ काम करना मंगलकारी होता है। पुरुषोत्तम माह का महत्व- जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह माह अधिकमाह कहलाता है। खगोलीय गणना के अनुसार हर तीन वर्ष में एक अधिकमाह होता है। इस माह में धार्मिक कार्य, पूजा- अर्चना, ध्यान- योग, जाप-तप से मनुष्य अपने शरीर में समाहित पाँचों तत्वों में संतुलित स्थापित कर सकता है। इस पुरे माह में मनुष्य अपने शारीरिक, मानसिक, धार्मिक और आध्यात्मिक प्रयासों से मनुष्य अपने उन्नति और निर्मलता प्राप्त कर नई ऊर्जा से भर जाता है। पुरुषोत्तम माह में किये गए धार्मिक कृत्यों से मनुष्य के कुंडली दोष का भी निराकरण होता है। इस माह में धार्मिक कार्य वर्जित है किन्तु धर्म, कर्म, भक्ति के कार्य पूण्य फलदायी है।। पुरुषोत्तम माह में क्या करें – इस माह के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसलिए यह माह भगवान विष्णु को समर्पित है। इस माह में व्रत, भजन, जप-तप, पूजा- पाठ के अतिरिक्त विष्णु मंत्रो का जप का अधिक महत्व होता है। इसके साथ ही श्री गीत पाठ, विष्णु सहस्त्र नाम, विष्णु पुराण श्री भागवत पुराण आदि का पठान तथा श्रवण सुफलदायी होता है। इन सभी कर्मो को करने से स्वयं भगवान पुरुषोत्तम आशीर्वाद देकर मनुष्य के समस्त पापों से मुक्त कर सभी कामनाओं को पूर्ण करते है। अधिक मास को पुरषोत्तम मास क्यों कहते हैं-
पौराणिक कथानुसार मल होने के कारण कोई इस मास का स्वामी होना नहीं चाहता था, तब इस मास ने भगवान विष्णु से अपने उद्धार के संबंध में प्रार्थना की। तब स्वयं भगवान विष्णु ने उन्हें अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम प्रदान किया। साथ ही यह आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा। इसलिए इस माह दान-पुण्य अक्षय फल देने वाला माना जाएगा।

आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा रांची
8210075897, 9031249105