झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर राजनितिक हलचल तेज, बेरमो सीट पर भाजपा में एक अनार सौ बीमार की स्थिति

बोकारो: तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की अप्रत्याशित जीत का असर बेरमो कोयलांचल में सिर चढ़ कर बोलने लगा है. हालांकि यह सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस के पाले में रही है.  यहां से कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय राजेंद्र प्रसाद सिंह लगातार चार बार विधायक और मंत्री रहे, तथा छह दफा उन्होंने इस विधानसभा सीट से क्षेत्र का नेतृत्व किया. वहीं वर्तमान में हुए उप चुनाव में स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के पुत्र कुमार जय मंगल सिंह कांग्रेस से विधायक हैं.

बेरमो विधानसभा चुनाव होने में लगभग एक वर्ष का समय है. लेकिन टिकटार्थियों ने रांची-दिल्ली की दौड़ लगाना शुरू कर दिया है. जो कभी क्षेत्र में नजर नहीं आते थे वे चुनावी मौसम आने की आहट से दादुर राग आलापने लगे हैं. प्रखंड, जिला, राज्य और केंद्रीय बीजेपी ऑफिस जाने लगे हैं. बड़े नेताओं संग फोटो खिंचवाकर नुमाइश करने लगे हैं. अखबार में भी अपने-अपने पक्ष में खबरें छपवाने लगे है. शादी-ब्याह,श्राद्ध और पूजा आदि में सहयोग कर जनता का सबसे बड़ा हितेषी साबित करने के मामले में सबसे आगे रहने का प्रयास करने लगे हैं. भाजपा के प्रखंड, जिला, राज्य और केंद्रीय पदाधिकारियो के दर्शन और चरण स्पर्श करने लगे हैं. दोनो हाथ जोड़े आम जनों से मिलना जुलना शुरू कर दिया है. उनके दादुर कुद आमजनों में असरहीन है. जनता मौन है और मन ही मन, सब देख रही है. जो टिकटार्थियों का बेचैनी बढ़ा रही है.

बेरमो से भाजपा प्रत्याशी कोई भी हो, उनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के सिटिंग कद्दावर विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह से होगा. ऊंट किस करवट लेगा, कुछ कहा नही जा सकता है. लेकिन भाजपा संगठन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर सबको भरोसा है. यही कारण है कि बेरमो विधानसभा के टिकटार्थियों की भरमार है. अब तक कुछ टिकटार्थियों के नाम सामने आया है जिसमें पूर्व विधायक योगेश्वर महतो बाटुल, बेरमो प्रमुख गिरिजा देवी, डॉ उषा सिंह, प्रकाश कुमार सिंह, राजेश सिंह, लक्ष्मण नायक, ओम प्रकाश सिंह, देवीदास और भाजपा के बोकारो जिलाध्यक्ष भरत यादव आदि प्रमुख है.

सूत्रों का कहना है कि यदि गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से रविंद्र कुमार पांडेय को प्रत्याशी नहीं बनाया गया और गठबंधन ने फिर आजसू को ही सीट दे दिया, तो रविंद्र कुमार पांडेय को बेरमो विधानसभा चुनाव लड़ाने पर भी भाजपा नेतृत्व विचार कर सकता है. अब देखना है कि समय आने पर भाजपा नेतृत्व क्या निर्णय लेता है. लेकिन तत्काल भाजपा का जमीन पर वजूद दिख रहा है टिकट पर हाथ कौन मारेगा यह तो समय के गर्त में है.