10 सालों से था संदिग्ध गतिविधियों में शामिल, NIA ने हजारीबाग एसपी को दिया था टास्क

जितेंद्र कुमार

हजारीबाग : नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने हजारीबाग के एक युवक को दिल्ली से गिरफ्तार किया है. एनआईए ने उसे आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रहने के मामले में गिरफ्तार किया है. वह हजारीबाग के पेलावल ओपी क्षेत्र के पगमिल आजाद नगर मोहम्मद हाउस के नजदीक का रहने वाला है. उसकी उम्र 30 वर्ष है और बताया जाता है कि पिछले 10 वर्षों से संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त था. आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता की जानकारी मिलने के बाद एनआईए ने हजारीबाग एसपी को भी शाहनवाज के ऊपर नजर रखने का टास्क दिया था. लेकिन इस बीच वह कभी हजारीबाग नहीं पहुंचा. दिल्ली में काम करने के बहाने वह अक्सर दिल्ली में रहा करता था. हजारीबाग एसपी मनोज रतन चौथे ने कहा कि दिल्ली में पकड़े गए शाहनवाज का तार हजारीबाग में कितना गहरा है इसकी जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है.

समाज से रहता था अलग

शाहनवाज के पिता का नाम शफीक जमा और उसकी मां का नाम हुश्ने अंबर है. मोहल्ले से मिली जानकारी के अनुसार वह अक्सर बाहर ही रहता था. समाज से कटे-कटे रहने के कारण उसकी गतिविधि भी संदिग्ध थी. 31 अक्टूबर 2016 को उसका पासपोर्ट जारी हुआ था. जिसकी वैलिडिटी 30 अक्टूबर 2026 तक है. उसका पासपोर्ट नंबर पी48 21132 है. पासपोर्ट फाइल नंबर आरसी 1060 3 791 680 16 है. रांची से इसका पासपोर्ट जारी है.

हजारीबाग से आतंकी कनेक्शन

आतंकी मामलों में पूर्व में भी हजारीबाग का कनेक्शन रहा है. हजारीबाग से आतंकियों का दो दशक से भी पूर्व का संबंध रहा है. देश में हुए कई बड़े आतंकी घटनाओं में हजारीबाग का नाम सामने आया और यहां से आतंकी पकड़े भी गए. पहली बार जनवरी 2002 में हजारीबाग सुर्खियों में आया था, जब कोलकाता के अमेरिकन सेंटर पर आतंकी हमला हुआ. अंतिम बार 2017 में हजारीबाग का आतंकी कनेक्शन तब सामने आया, जब रोहिंग्या मामले में युवाओं को भड़काने और मिजोरम व मणिपुर में खूंखार आतंकवादी संगठन अल कायदा का बेस कैंप बनाने की तैयारी में जुटे संदिग्ध आतंकवादी का झारखंड कनेक्शन सामने आया.

एजेंसियों से बचने को होटल में शरण

आतंकवादियों ने जांच एजेंसियों से बचने के लिए हजारीबाग के कचहरी के समीप एक होटल में शरण ली थी. इसका खुलासा एनआइए ने किया था. 2002 में हुए हमले के बाद हजारीबाग में अपने घर में पनाह देने वाला एक राज्य प्रशासनिक सेवा का अधिकारी था. 28 जनवरी 2002 को दो आतंकी सदर थाना क्षेत्र के खिरगांव मुहल्ले में मारे गए थे. इनमें इदरीश और सलीम शामिल थे. सलीम ने बताया था कि दोनों पाकिस्तान से हैं और लश्कर-ए-तोएबा के आतंकी हैं. कोलकाता में 22 जनवरी 2002 को अमेरिकन सूचना केंद्र पर हमला करने में उसका हाथ था.

शोरूम मालिक का किया था अपहरण

एनआइए को दिए गए बयान के अनुसार, इसी गुट ने जूता निर्माता कंपनी खादिम के शो-रूम मालिक पार्थो राय का जमशेदपुर से अपहरण भी किया था. हजारीबाग में मारे गए दोनों आतंकियों के पास से कोलकाता-गया का रेलवे टिकट, नालंदा से बनाया गया ड्राइविंग लाइसेंस, दिल्ली से लूटी गई जेन कार, हजारीबाग के दीक्षित गैस एजेंसी का गैस कार्ड मिला था. इसी तरह 29 फरवरी 2012 को हजारीबाग स्थित पगमिल मोहल्ले के कश्मीर हाउस से लश्कर के आतंकी तौफिक को गिरफ्तार किया गया था. उसकी निशानदेही पर दिल्ली में उसके एक साथी एहतेशाम को गिरफ्तार किया गया था. तौफिक ने इंटर की पढ़ाई मांडू कॉलेज से की थी और संत कोलंबा कॉलेज में पार्ट वन की पढ़ाई कर रहा था. रोहिग्यां मामले में गिरफ्तार अलकायदा से जुड़े संदिग्ध आतंकी समीउल रहमान उर्फ हमदान उर्फ शुमोन हक उर्फ राजू भाई ने गिरफ्तारी के बाद खुद स्वीकार किया कि वह पहचान छिपाकर हजारीबाग के एक होटल में कुछ दिनों तक ठहरा था. दिल्ली में हमदान को गिरफ्तार करने के बाद एनआइए टीम जांच के सिलसिले में उसे लेकर रांची आयी थी. जहां उसने माना था कि हजारीबाग के एक होटल को भी उसने अपना ठिकाना बनाया था. होटल में हमदान ने किशनगंज से जारी पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था.

कई बार जेल गया था हमदान

मिजोरम एवं मणिपुर में खूंखार आतंकवादी संगठन अल कायदा का बेस कैंप बनाने की तैयारी के दौरान गिरफ्तार किए गए आतंकी हमदान कई बार जेल जा चुका है. जानकारी में ये बातें भी सामने आयी थीं कि वह दक्षिण अफ्रीका और सीरिया की भी यात्रा इस्लाम के प्रचार के लिए कर चुका था. मूल रूप से वह बांग्लादेश का रहने वाला था. पूरा परिवार उसके साथ लंदन के 96 रेडमान हाउस, पोर्ट पूल लेन में रहता था. उसने पढ़ाई-लिखाई लंदन में ही की थी. अब एक बार फिर से हजारीबाग के शाहनवाज को दिल्ली में पकड़े जाने के बाद आतंकियों से जुड़े तार का बड़ा खुलासा होने की संभावना प्रबल हो गई है. 2022 में पटना में पकड़ा गया एक जमादार हजारीबाग में पोस्टेड था. इस दौरान उसकी गतिविधि भी संदिग्ध थी और उसने आतंकी जाल फैला रखा था. जिसका केंद्र पटना को बनाया था.