गोपालगंज: बिहार का गोपालगंज एक बार फिर आतंकी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में आ गया है. गोपालगंज में टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है. ये कार्रवाई गोपालगंज का मांझा थाना क्षेत्र के पथरा गांव में की गई है. गिरफ्तार युवक जफर अब्बास बताया गया है.
गोपालगंज के एसपी आनंद कुमार ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है. दरअसल, एनआईए ने जफर अब्बास के आलीशान मकान से दो लैपटॉप, 6 मोबाइल, 6 सिमकार्ड, बैंक पासबुक और पासपोर्ट समेत कई दस्तावेज बरामद किए हैं. एनआईए ने पूरी तफ्तीश करने के बाद यह कार्रवाई की है. फिलहाल, गिरफ्तार युवक को गोपालगंज की कोर्ट में पेशी के बाद एनआईए ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली लेकर जाने की तैयारी में है.
वहीं, इस कार्रवाई के बाद टेरर फंडिंग से जुड़े लोगों की कुंडली खंगाली जा रही है, जो देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं. पुलिस सूत्रों के मुताबिक गिरफ्तार जफर अब्बास का दुश्मन देश पाकिस्तान से कनेक्शन था. सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट पर एनआईए और स्थानीय पुलिस जफर पर कई दिनों से नजर रख रही थी. जैसे ही पुख्ता सबूत मिले, एनआईए गोपालगंज पहुंच गई. इसके पहले एनआईए ने केस दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी थी.
NIA की इस कार्रवाई के बाद गोपालगंज पुलिस ने इलाके में चौकसी बढ़ा दी है. जिस युवक को आतंकी संगठन से जुड़े होने के शक में गिरफ्तार किया है, वह बीटेक फाइनल ईयर का छात्र है. परिवार वालों की माने तो वह मध्यप्रदेश के भोपाल के आरजीपीयू यूनिवर्सिटी के आइइएस कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई करता था. कोरोना काल में वह अपने घर आया था और यहीं से आकर ऑनलाइन पढ़ाई करता था. फरवरी 2022 में फाइनल ईयर का एग्जाम होना था. जफर दो भाइयों में बड़ा भाई है.
छोटे भाई ने इसी माह मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा दी है. एनआईए की कार्रवाई के बाद परिवार के लोगों ने जफर अब्बास को निर्दोष बताया है. पथरा गांव में जफर की मां सलीम बेगम ने कहा कि बेटा आतंकी नहीं हो सकता. उसे पंचायत चुनाव के तहत साजिश में फंसाया गया है. वहीं, गिरफ्तार युवक के पड़ोसी और रिश्तेदारों ने भी उसे निर्दोष बताया है.
परिवार वालों का कहना है कि गिरफ्तार जफर अब्बास के पिता हसमुल्लाह ने 1978 से दुबई में रहकर कामकर धन अर्जित किया और अपना मकान बनवाया है, जिसे अब टेरर फंडिंग के रुपये से जोड़कर जांच की जा रही है. परिजनों ने कहा कि एनआईए दिल्ली से आयी थी और पकड़कर ले गई. उन्होंने जफर पर देशद्रोही का आरोप लगाया है, मगर वो ऐसा लड़का नहीं है. बाहर रहकर पढ़ाई करता था. इलेक्शन को लेकर साजिश के तहत उसे फंसाया गया है.
जफर अब्बास के चाचा मुस्तफा ने कहा कि एनआईए को गिरफ्तारी के बाद घर से छानबीन के बाद चार-पांच मोबाइल मिले. जिसके आधार पर बोले कि ये आतंकवादी है. हम जफर अब्बास को आतंकवादी नहीं मानते हैं. सरकार से मांग करते हैं कि सही तरीके से जांच हो और न्याय मिले. बता दें कि गोपालगंज में एनआईए की कार्रवाई का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी लश्कर-ए-तैयबा के खूंखार शेख अब्दुल नईम का आतंकी कनेक्शन गोपालगंज से जुड़ा था.
शेख अब्दुल नईम गोपालगंज में नाम और पता बदलकर पासपोर्ट बनवा चुका था और यहां उसने लश्कर-ए-तैयबा का स्लीपर सेल तैयार किया था. साल 2017 में खुफिया एजेंसियों के रिपोर्ट पर बनारस से शेख अब्दुल नईम की गिरफ्तारी हुई थी. उसके बाद गोपालगंज से जुड़े तार का खुलासा हुआ और लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल से जुड़े सक्रिय सदस्य बेदार बख्त उर्फ धन्नू राजा की दिसंबर 2017 में नगर थाना के जादोपुर चौक स्थित ननीहाल से गिरफ्तारी हुई थी.
धन्नू एनएसयूआई का जिलाध्यक्ष भी था. इसके बाद 2017 में ही मांझा थाने के आलापुर गांव से एनआईए ने मुकेश कुमार को गिरफ्तार किया. लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल से जुड़े चौथे सक्रिय सदस्य महफूज आलम की गिरफ्तारी साल 2018 में नगर थाना क्षेत्र के दरगाह मोहल्ले से हुई थी. एनआईए की लगातार कार्रवाई के बाद सुरक्षा एजेंसियां और स्थानीय पुलिस ने चौकसी बढ़ा दी है. पूरी गोपनीयता के साथ संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है.