नवरात्रि: साधना और सिद्धि की देवी मां कालरात्रि

आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि सदैव अपने भक्‍तों पर कृपा करती हैं और शुभ फल देती है। इसलिए मां का एक नाम ‘शुभंकरी’ भी पड़ा। मां अपने भक्‍तों के सभी तरह के भय को दूर करती हैं। प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि मां की कृपा पाने के लिए भक्‍तों को गंगा जल, पंचामृत, पुष्‍प, गंध, अक्षत से मां की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा मां को गुड़ का भोग लगाएं।

देवी कालरात्रि का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है। इनकी श्‍वास से अग्नि निकलती है। मां के बाल बिखरे हुए हैं इनके गले में दिखाई देने वाली माला बिजली की भांति चमकती है। इन्हें तमाम आसूरी शक्तियां का विनाश करने वाली है।

देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां के तीन नेत्र ब्रह्मांड की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं और चार हाथ हैं, जिनमें एक में खडग् अर्थात तलवार है तो दूसरे में लौह अस्त्र है, तीसरा हाथ अभयमुद्रा में है और चौथा वरमुद्रा में है।

मां का वाहन गर्दभ अर्थात गधा है, जो समस्त जीव-जन्तुओं में सबसे ज्यादा परिश्रमी और निर्भय होकर अपनी अधिष्ठात्री देवी कालराात्रि को लेकर इस संसार में विचरण करा रहा है। देवी का यह रूप ऋद्धि-सिद्धि प्रदान करने वाला है।

नवरात्र के सातवें दिन पूजा करने से मां कालरात्रि अपने भक्तों को काल से बचाती हैं अर्थात उनकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। पुराणों में इन्हें सभी सिद्धियों की भी देवी कहा गया है, इसीलिये तंत्र-मंत्र के साधक इस दिन देवी की विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं।

मां कालरात्रि की पूजा करके अपने क्रोध पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। कालरात्रि माता को काली का रूप भी माना जाता है। इनकी उत्पत्ति देवी पार्वती से हुई है। सप्तमी की पूजा सुबह में अन्य दिनों की तरह ही होती है परंतु रात्रि में विशेष विधान के साथ देवी की पूजा की जाती है।

देवी भागवत पुराण के अनुसार माता कालरात्रि की पूजा करने वालों के लिए इस जगत में मौजूद कोई भी चीज दुर्लभ नहीं है। माता अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। आदिशक्ति मां अपने भक्‍तों के कष्‍ट का अतिशीघ्र निवारण कर देती हैं।

मां दुर्गा के इस स्वरूप की साधना करते समय इस मंत्र का जप करना चाहिए। कालरात्रि देवी का सिद्ध मंत्र…
‘ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम:।’

तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण है यह दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले के लिए विशेष महत्वपूर्ण होता है। तंत्र साधना करने वाले इस दिन मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। बताया जाता है कि इस दिन मां की आंखें खुलती हैं और भक्तों के लिए देवी मां का दरवाजा खुल जाता है।

आचार्य प्रणव मिश्रा