कार्तिक मास हो चुका है शुरू, पालन करें ये नियम और भगवान विष्णु को करें प्रसन्न

कार्तिक महीने में लक्ष्मीनारायण का पूजन का विशेष महत्व होता है। इस पूरे माह में पूरे भक्ति भाव से पूजन अर्चना करने से मनुष्य की कामना की पूर्ति के साथ साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। कार्तिक माह की शुरुआत शरद पूर्णिमा से ही हो जाती है। इस पूरे माह में करवा चौथ, चार दिवसीय दीपावली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, छठ महापर्व, देउथानी एकादशी आदि पर्व मनाए जाते है। इस माह का समापन गुरु पूर्णिमा पर होता है।

कार्तिक माह का महात्म्य इस माह के महात्म्य का वर्णन स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण में भी वर्णित है। इसमें नक्षत्र, ग्रह- योग पर्व का क्रमबद्ध होना, धन, यश, सुख संवृधि के साथ साथ उत्तम स्वास्थ्य देता है। इसलिए इस महीने को मोक्ष का द्वार कहा जाता है। कार्तिक माह चारों पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है। स्वयं भगवान नारायण ने भगवान ब्रह्मा, ब्रह्मा ने नारद को और नारद ने महाराज पृथु को कार्तिक माह के सर्वगुण संपन्न महात्म्य को बताया है।

कार्तिक माह का महात्म्य मात्र पढ़ने सुनने से कोटि कोटि यज्ञ का फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। कार्तिक माह को रोगविनाशक महा, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला, लक्ष्मी प्राप्ति तथा मुक्ति प्राप्त कराने का सहायक माह कहा गया है। इसी कार्तिक माह में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने नरकासुर राक्षस का वध किया था इसलिए इस महा का नाम कार्तिक पड़ा, जो विजय प्रदान करने वाला है।

कार्तिक माह में मनुष्य की सभी आवास्यकताओं जैसे उत्तम स्वस्थ, पारिवारिक उन्नति और देव कृपा आदि का आध्यात्मिक समाधान आसानी से मिल जाता है। कार्तिक माह में क्या करेंसात्विकता शुभ कार्तिक माह में व्रत उपवास और नियम के साथ तप करना चाहिए। मनुष्य को सात्विक जीवन बिताना चाहिए। मासाहार और मदिरा का त्याग करना चाहिए। दीपदानशास्त्रानुसार कार्तिक महीने में दीपदान करने का बहुत ही महत्व बताया गया है। इस माह नदी, तलाब आदि में दीप दान बड़ा ही पुण्यप्रद माना गया है।तुलसी पूजन इस पुण्य महा में तुलसी सेवा और पूजन का बहुत महत्व बताया गया है।

वैसे हर दिन माता तुलसी की सेवा और आराधना उत्तम माना गया है किंतु कार्तिक माह में माता तुलसी का पूजन का अलग महत्व है क्योंकि इसी पावन माह में माता तुलसी का विवाह हुआ था। इस कारण इस माह का महत्व माना गया है। इस पवित्र महा में तुलसी के चबूतरे के समीप बैठ के कार्तिक महात्म्य सुनना सुनाना शुभफलदायी है। इससे परिवार में सुख शांति बनी रहती है तथा समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मनुष्य मोक्ष को प्राप्त करता है।भूमि और शयनभूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।

प्रातः स्नान पुण्यप्रद कार्तिक माह में सूर्योदय से पहले गंगा स्नान, अन्य नदियों और जलाशयों में स्नान संभव न हो तो घर पर ही स्नान कर के भगवान लक्ष्मीनारायण और माता तुलसी की आराधना करनी चाहिए।कार्तिक माह के व्रत एवम त्यौहार

13 अक्टूबर गुरुवार :करवा चौथ, संकष्टी गणेश चतुर्थीकरवा चौथ – करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर चंद्र को अर्घ्य देकर जल ग्रहण करती है।

14 अक्टूबर शुक्रवार- रोहिणी व्रत रोहिणी व्रत – यह व्रत जैन धर्म के लोग करते हैं. इस दिन वे भगवान वासुपूज्य की पूजा करते है.

15 अक्टूबर शनिवार – स्कंद षष्ठी व्रत

17 अक्टूबर 2022 सोमवार – अहोई अष्टमी, तुला संक्रांतिअहोई अष्टमी-तुला संक्रांति – संतान की दीर्धायु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक माह की अष्टमी पर किया जाता है. इसी दिन सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करेंगे, जिसे तुला संक्रांति कहा जाता है.

21 अक्टूबर शुक्रवार – रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशीरमा एकादशी – मां लक्ष्मी का एक नाम रमा भी है इसलिए कार्तिक मास की इस एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा होती है. वहीं गोवत्स द्वादशी व्रत माताएं अपनी संतान की अच्छी सेहत की कामना के लिए रखती हैं.

22 अक्टूबर शनिवार – धनतेरस, शनि प्रदोष व्रतधनतेरस – धनतेरस से दीवाली के 5 दिन के पर्व की शुरुआत हो जाती हैं. इस दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान धनवंतरी की पूजा होती है.

23 अक्टूबर रविवार – काली पूजा , मासिक शिवरात्रिकाली पूजा – काली पूजा पर मां काली की विशेष उपासना की जाती है. यह पूजा दीवाली से एक दिन पहले होती है.

24 अक्टूबर सोमवार – दिवाली, नरक चतुर्दशी इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और दीप जलाए जाते हैं।

25 अक्टूबर मंगलवार- कार्तिक अमावस्या, भौमवती अमावस्याकार्तिक अमावस्या – कार्तिक माह में अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व है. मंगलवार के दिन होने से यह भौमवती अमावस्या कहलाएगी.26 अक्टूबर बुधवार- भाई दूज, अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, यम द्वितीया, चित्रगुप्त पूजाभाई दूज – इस दिन बहन अपनी भाई को तिलक लगाकर उसके उज्जवल भविष्य और रक्षा की कामना करती है. गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा का विधान है, साथ ही इस दिन अन्नकूट(56 भोग) का श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है.28 अक्टूबर शुक्रवार- वरद विनायक चतुर्थी और छठ व्रत का नहाय खाय29 अक्टूबर शनिवार- लाभ पंचमीलाभ पंचमी – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को लाभ और सौभाग्य की प्रतीक मानी जाती है। यह व्रत सांसारिक कामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है. इस दिन छठ व्रत का खीर भोजन खरना भी है।30 अक्टूबर रविवार- छठ पूजाछठ पूजा – संतान की लंबी आयु के लिए छठ पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर सूर्यदेव-छठी मईया की पूजा की जाती है।

31 अक्टूबर सोमवार को छठ व्रत का प्रातः कालीन अर्घ्य 01 नवंबर मंगलवार – गोपाष्टमी, दुर्गाष्टमी व्रत

02 नवंबर बुधवार – अक्षय (आंवला) नवमीअक्षय नवमी – इसे आंवला नवमी भी कहते हैं. इस दिन आंवले वृक्ष की पूजा की जाती है, कहते हैं आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु और शिवजी का वास होता है।

04 नवंबर शुक्रवार- देवउठनी एकादशीदेवउठनी एकादशी – इसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु 4 महीने के बाद निद्रा से जागते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना का विधान है।

05 नवंबर शनिवार – तुलसी विवाह, शनि प्रदोष व्रततुलसी विवाह- कार्तिक माह की द्वादशी को भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम जी और तुलसी का विवाह होता है।

07 नवंबर सोमवार – देव दिवाली, मणिकर्णिका स्नानदेव दिवाली – देव दिवाली काशी में गंगा नदी के तट पर मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की भूमि पर आकर दिवाली मनाते हैं।

08 नवंबर मंगलवार- कार्तिक पूर्णिमा, कार्तिक स्नान दान की पूर्णिमा सत्यनारायण व्रत कथा और कार्तिक माह का समापन।

प्रसिद्ध ज्योतिषआचार्य प्रणव मिश्रा

आचार्यकुलम,

अरगोड़ा, राँची

8210075897