Johar Live Desk : उत्तर प्रदेश सरकार ने जेलों की व्यवस्था में बड़ा बदलाव करते हुए एक मानवीय और आधुनिक पहल की शुरुआत की है. प्रदेश में बन रही नई जेलों में अब हाईटेक स्कूल भी बनाए जाएंगे. जिनमें महिला बंदियों के बच्चे, जेल अधिकारियों के बच्चे और आसपास के क्षेत्र के बच्चे एक साथ शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. यह पहल महिला बंदियों के बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने और उन्हें बेहतर शिक्षा माहौल देने के उद्देश्य से की गई है. शुरुआत में इन स्कूलों में नर्सरी से लेकर कक्षा आठ तक की पढ़ाई होगी, जिसे आगे चलकर कक्षा 10 तक अपग्रेड करने की योजना है.
वेस्ट यूपी के हापुड़, शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर सहित प्रदेश के कई जिलों जैसे हाथरस, जौनपुर, कुशीनगर, शाहजहांपुर और औरैया में नई जेलों का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है. इनमें जेल परिसरों के बाहर, लेकिन परिसर की सीमा में ही स्कूल भवन बनाए जाएंगे. इन स्कूलों में शिक्षा विभाग के प्रशिक्षित अध्यापक तैनात किए जाएंगे.
फिलहाल कैसी है व्यवस्था?
अभी तक महिला बंदियों के बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी जेल प्रशासन द्वारा डीएम कार्यालय के माध्यम से की जाती है. नगर के नजदीक स्कूलों से एक या दो शिक्षक भेजे जाते हैं, या आंगनबाड़ी की व्यवस्था के सहारे शिक्षा दी जाती है. कई बार पढ़ी-लिखी महिला बंदियों को ही बच्चों को पढ़ाने का काम सौंपा जाता है. पुरुष बैरकों में भी शिक्षित बंदी ही अन्य कैदियों को पढ़ाते हैं. लेकिन स्कूल जैसी अनुशासित और संगठित व्यवस्था का अभाव बना रहता है.
नई पहल का असर
सरकार की यह नई योजना न केवल बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करेगी, बल्कि महिला बंदियों को भी मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करेगी. बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है. इस नई योजना से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश सरकार अब जेलों को केवल बंदियों के लिए दंडस्थल मानने की बजाय, उन्हें सुधार और पुनर्वास केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.
Also Read : मोरहाबादी के दुर्गा मंदिर में श्रीमद्भागवत ज्ञान महायज्ञ 19 से