New Delhi : प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक जवाद अहमद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें 18 नवंबर को उस समय हिरासत में लिया गया जब अल-फलाह ग्रुप से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के दौरान मिले सबूतों की जांच में गड़बड़ियां सामने आईं। इससे पहले मंगलवार की सुबह ED की टीम ने उनके घर पर भी छापेमारी की थी।
ED इस बात की जांच कर रही है कि क्या मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े इस धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों में और लाल किले पर हमले में शामिल आतंकवादियों को मदद पहुंचाने के लिए किया गया था। एजेंसी के मुताबिक, जांच में सामने आए करोड़ों रुपये के अवैध धन को ट्रस्ट के जरिए परिवार की कंपनियों में पहुंचाया गया था। छापेमारी में ED ने 48 लाख रुपये से अधिक नकद और कई डिजिटल दस्तावेज जब्त किए हैं।
दो FIR के आधार पर शुरू हुई जांच
ED ने अपनी जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज की गई दो FIR के आधार पर शुरू की थी। इन FIR में आरोप लगाया गया था कि फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने NAAC मान्यता को लेकर झूठे दावे करके छात्रों और उनके अभिभावकों को धोखा दिया।

UGC मान्यता पर भी झूठे दावे
FIR में यह भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी ने UGC अधिनियम की धारा 12(B) के तहत मान्यता का गलत दावा किया, जबकि UGC के अनुसार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी केवल धारा 2(f) के तहत एक निजी राज्य विश्वविद्यालय के रूप में शामिल है। उसने 12(B) के तहत कभी आवेदन नहीं किया और वह इस प्रावधान के तहत मिलने वाले अनुदान के लिए भी पात्र नहीं है।
सिद्दीकी का पूर्ण नियंत्रण और वित्तीय गड़बड़ियां
अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 8 सितंबर 1995 को हुई थी, जिसमें जवाद अहमद सिद्दीकी को प्रबंध न्यासी बनाया गया था। ED की जांच में पता चला है कि ट्रस्ट द्वारा बनाई गई ‘अपराध की आय’ को परिवार की कंपनियों में भेजा गया। कई निर्माण और कैटरिंग ठेके उनकी पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए थे।
एजेंसी का कहना है कि 1990 के दशक से अल-फलाह समूह का तेजी से विस्तार हुआ, लेकिन इसके पीछे उचित आर्थिक आधार नहीं दिखता। जांच जारी है और ED आने वाले दिनों में और लोगों से पूछताछ कर सकती है।
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