Patna : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले CM नीतीश कुमार ने राज्य के लाखों संविदा कर्मियों को बड़ी राहत दी है। शुक्रवार को CM ने शिक्षा विभाग से जुड़े मिड डे मील रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि की घोषणा की। इस फैसले से हजारों कर्मियों को सीधा लाभ मिलेगा और उनका मनोबल बढ़ेगा।
CM ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर इसकी जानकारी साझा करते हुए कहा, “2005 में सरकार बनने के बाद से शिक्षा हमारी प्राथमिकता रही है। उस समय शिक्षा का बजट मात्र 4,366 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 77,690 करोड़ रुपये हो गया है। शिक्षकों की व्यापक नियुक्ति, नए स्कूल भवनों का निर्माण और आधारभूत संरचना के विकास से शिक्षा व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।”
नवम्बर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही हमलोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वर्ष 2005 में शिक्षा का कुल बजट 4366 करोड़ रूपए था जो अब बढ़कर 77690 करोड़ रूपए हो गया है। बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति, नए विद्यालय भवनों के निर्माण एवं आधारभूत संरचनाओं…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 1, 2025
मानदेय में दोगुनी वृद्धि
मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने में मिड डे मील रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा अनुदेशकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इन कर्मियों के मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि का फैसला किया है।
- मिड डे मील रसोइयों का मानदेय 1,650 रुपये से बढ़ाकर 3,300 रुपये प्रतिमाह किया गया है।
- रात्रि प्रहरियों का मानदेय 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह किया गया है।
- शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय 8,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रतिमाह किया गया है।
- इसके साथ ही इन कर्मियों की वार्षिक वेतन वृद्धि को 200 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये करने का निर्णय लिया गया है।
कर्मियों का बढ़ेगा मनोबल
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वृद्धि से कर्मियों में उत्साह और समर्पण बढ़ेगा, जिससे वे और बेहतर तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। सरकार का मानना है कि यह निर्णय शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने में सहायक होगा।
चुनाव से पहले जनकल्याणकारी कदम
इससे पहले भी नीतीश सरकार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की थी। जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले संविदा कर्मियों के लिए उठाए गए ये कदम सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों के बीच सकारात्मक संदेश देना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है।
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