Chaibasa : चाईबासा जिले की लोहे की नगरी किरीबुरु इन दिनों एक अजीब और चिंताजनक समस्या का सामना कर रही है। यहां के बच्चे अब मैदानों या लाइब्रेरी में नहीं, बल्कि जंगल में “पब जी” खेलते नजर आते हैं। एपेक्स ऑफिस के पीछे का घना जंगल अब स्थानीय लोगों के बीच “गेमिंग ज़ोन” के नाम से मशहूर हो चुका है, जहां किशोर उम्र के बच्चे मोबाइल लेकर घंटों बैठ जाते हैं और ऑनलाइन युद्ध में डूबे रहते हैं।
जंगल में बन गया बच्चों का ‘गेमिंग जोन’
स्थानीय निवासियों के अनुसार, दोपहर या शाम के समय समूह में कई बच्चे जंगल की ओर जाते हैं। वहां बैठकर मोबाइल पर “पब जी” खेलते हैं। कई बार सीआईएसएफ के जवान बच्चों को समझाकर वहां से भगाते हैं, लेकिन थोड़ी देर बाद वे दोबारा लौट आते हैं। जंगल में सांप-बिच्छू, जंगली कीड़े और फिसलन भरी ज़मीन के खतरे के बावजूद बच्चे बिना डर के वहां घंटों तक गेम खेलते रहते हैं।
मनोवैज्ञानिकों की चेतावनी
मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि पब जी जैसे हिंसक गेम बच्चों की मानसिकता पर गहरा असर डाल रहे हैं।
इन खेलों के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन, आक्रामकता और अकेलापन बढ़ रहा है। पढ़ाई पर ध्यान कम हो रहा है और वे वास्तविक दुनिया से दूर होते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति धीरे-धीरे “डिजिटल व्यसन (Digital Addiction)” का रूप ले रही है, जो आगे चलकर गंभीर मानसिक समस्या बन सकती है।

अभिभावकों से अपील – मोबाइल पर नियंत्रण जरूरी
स्कूल शिक्षकों और समाजसेवियों का कहना है कि अब समय आ गया है कि अभिभावक मोबाइल उपयोग पर सख्ती करें।
बच्चों को मोबाइल के बजाय खेलकूद, संगीत, चित्रकला या किसी रचनात्मक गतिविधि की ओर प्रेरित किया जाए।
इससे उनका ध्यान डिजिटल गेम से हटाकर सकारात्मक दिशा में लगाया जा सकता है।
स्कूलों में जागरूकता अभियान की मांग
किरीबुरु के शिक्षकों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि स्कूलों में “डिजिटल व्यसन से बचाव” पर विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाए। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि गेम सिर्फ मनोरंजन का साधन हैं, जीवन का लक्ष्य नहीं।
“यह सिर्फ गेम नहीं, बच्चों के भविष्य के साथ खेल”
स्थानीय शिक्षक और समाजसेवी एस. के. पांडेय ने कहा, “पब जी सिर्फ एक गेम नहीं है, यह बच्चों के भविष्य के साथ खेल है।
अगर समय रहते समाज, परिवार और स्कूल मिलकर कदम नहीं उठाए, तो आने वाले वर्षों में यह लत एक सामाजिक संकट बन जाएगी।”
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