मानहानि मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने स्वीकारी गलती, अगली सुनवाई 11 मार्च को

नई दिल्ली : मानहानि मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा- “मेरे मुवक्किल से गलती हो गई थी. मैं मानता हूं”. ये मामला मई 2018 का है. अरविंद केजरीवाल ने 2018 में यूट्यूबर ध्रुव राठी की एक पोस्ट को रीट्वीट किया था. इसी को लेकर उन पर मानहानि का आरोप लगा और मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया था. अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को अदालत से कहा कि उन्होंने यूट्यूबर ध्रुव राठी के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आईटी प्रकोष्ठ से जुड़े कथित अपमानजनक वीडियो को रीट्वीट करके गलती की.

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर नोटिस जारी किए बिना ही शिकायतकर्ता से पूछा कि क्या वह मुख्यमंत्री की माफी के बाद इस मामले को बंद करना चाहते हैं. जिसके जवाब में प्रतिवादी के वकील ने कहा- “मैं निर्देश लेकर बताऊंगा”. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से कहा कि कोई कड़ा आदेश नहीं जारी करेगा.

अगली सुनवाई 11 मार्च को

बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट में 11 मार्च होगी. पिछली सुनवाई में दिल्ली हाइकोर्ट ने मामले में अरविंद केजरीवाल को तलब करने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था. अदालत ने कहा था कि केजरीवाल के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर महत्वपूर्ण फॉलोअर्स हैं और वह वीडियो को रीट्वीट करने के नतीजों को समझते है.

अपमानजनक सामग्री रीट्वीट करना मानहानि के समान

कोर्ट ने कहा था अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना मानहानि के समान है. यह मामला विकास सांकृत्यायन उर्फ विकास पांडेय द्वारा दायर किया गया था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का समर्थक होने का दावा करता है और सोशल मीडिया पेज ‘आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ का संस्थापक है.

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