Patna : बिहार ने राष्ट्रीय खेलों के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है. खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 का सफल आयोजन कर न सिर्फ अपनी आयोजन क्षमता का परिचय दिया, बल्कि खिलाड़ियों की शानदार प्रदर्शन के साथ पूरे देश का ध्यान भी खींचा. पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से लेकर गया, भागलपुर, राजगीर और बेगूसराय तक, पूरे राज्य में खेलों का महाकुंभ देखने को मिला.
इस बार बिहार ने 36 पदक (7 गोल्ड, 11 सिल्वर और 18 ब्रॉन्ज) के साथ राष्ट्रीय रैंकिंग में 14वां स्थान हासिल किया. पिछले वर्ष के मात्र 5 पदकों की तुलना में यह 620% की ऐतिहासिक बढ़त है. वर्षों से झारखंड से तुलना झेल रहे बिहार ने इस बार उसे पीछे छोड़ते हुए खेलों में खुद को ‘नई प्रयोगशाला’ के रूप में स्थापित किया है.
पदकों के पीछे हैं गांवों की संघर्ष भरी कहानियां
बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों से निकले खिलाड़ियों ने संसाधनों की कमी के बावजूद कठिन मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया है. राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रण शंकरण ने बताया कि यह उपलब्धि सरकार की योजनाओं और बेहतर प्रशिक्षण सुविधाओं का परिणाम है.
आयोजन में दिखी बिहार की मेहमाननवाजी
खेलों का आयोजन न केवल तकनीकी रूप से सफल रहा, बल्कि राज्य की संस्कृति और मेहमाननवाजी ने भी सभी का दिल जीत लिया. समापन समारोह में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, केंद्रीय मंत्री निखिल खडसे और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की और बिहार की तैयारी की सराहना की.
2030 राष्ट्रीय खेलों की तैयारी में बिहार
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि बिहार अब 2030 के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी की दिशा में कार्य कर रहा है. इसके लिए राज्य के नौ प्रमंडलों में खेल गांव विकसित किए जाएंगे और अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी. ट्रैक साइक्लिंग, शूटिंग और जिम्नास्टिक जैसे खेलों की सुविधाओं की कमी के कारण इस बार दिल्ली में प्रतियोगिताएं करानी पड़ीं, लेकिन भविष्य में बिहार ही केंद्र बनेगा.
मेडल लाओ, नौकरी पाओ योजना बनी प्रेरणा
राज्य सरकार की “मेडल लाओ, नौकरी पाओ” योजना ने युवाओं को खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था ने नई ऊर्जा भर दी है. बिहार ने यह आयोजन बिना किसी बाहरी एजेंसी के, अपने संसाधनों और अधिकारियों की मेहनत से सफलतापूर्वक पूरा किया. खिलाड़ियों के लिए संतुलित भोजन, सुरक्षा, यात्रा और ठहरने की सुविधाएं खुद राज्य सरकार ने उपलब्ध कराईं. IAS भवन, बोधगया के बिपार्ड स्वीमिंग पूल और राजगीर के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम जैसे केंद्र आयोजन का मुख्य हिस्सा रहे.
बिहार ने यह दिखा दिया है कि सही नीति, दूरदर्शिता और संकल्प से कोई भी राज्य खेलों के मानचित्र पर चमक सकता है. अब बिहार न सिर्फ इतिहास और शिक्षा, बल्कि खेलों की दिशा में भी अग्रणी राज्य बनकर उभरा है.
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