Ranchi : पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार हत्याकांड में फांसी की सजा पाए दो हार्डकोर नक्सली सुखलाल उर्फ प्रवीर मुर्मू और सनातन बास्की उर्फ ताला दा की मौत की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की सुनवाई आज पूरी हो गई। जस्टिस गौतम कुमार चौधरी की कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुखलाल मुर्मू की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र शंकर सिंह ने अपने पक्ष में दलीलें रखीं। हाईकोर्ट की खंडपीठ में दो जजों के बीच मतभेद है। जस्टिस संजय प्रसाद ने दोनों नक्सलियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा था और राज्य सरकार की अपील को स्वीकार किया था, जबकि जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय ने उनकी अपील स्वीकार करते हुए उन्हें बरी कर दिया। अब जस्टिस गौतम कुमार चौधरी का फैसला बहुमत के आधार पर मान्य होगा।
जस्टिस संजय प्रसाद ने अपने आदेश में शहीद एसपी अमरजीत बलिहार के परिजनों को 2 करोड़ रुपये और पांच अन्य शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। इसके अलावा शहीद एसपी के पुत्र या पुत्री को डिप्टी एसपी/डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त करने और उम्र सीमा में छूट देने का भी आदेश दिया गया। अन्य पांच शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को उनके शिक्षा स्तर के अनुसार फोर्थ ग्रेड या क्लास 4 के पदों पर नियुक्ति का आदेश भी शामिल था।

इस हत्याकांड की पृष्ठभूमि यह है कि 2 जुलाई 2013 को एसपी अमरजीत बलिहार चुनाव से जुड़ी बैठक में शामिल होने दुमका गए थे। लौटते समय काथीकुंड जंगल इलाके में नक्सलियों ने पुलिस टीम पर घातक हमला किया। इस हमले में एसपी अमरजीत बलिहार और पांच अन्य पुलिसकर्मी शहीद हो गए।
निचली अदालत ने नवंबर 2018 में प्रवीर मुर्मू और सनातन बास्की को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोनों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। जुलाई 2025 में झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में विभाजनात्मक फैसला दिया एक जज ने फांसी की सजा को बनाए रखा, जबकि दूसरे जज ने अभियुक्तों को बरी कर दिया।

