Johar Live Desk : दुनियाभर में आंखों से जुड़ी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पहले जहां यह समस्या उम्र बढ़ने पर होती थी, अब कम उम्र के लोग और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, आधुनिक डिजिटल जीवनशैली और एसी में लगातार रहना आंखों के लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं।
ड्राई आइज के मामले बढ़े 40% तक
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, ड्राई आइज (Dry Eyes) यानी आंखों में सूखापन अब सबसे आम समस्या बन गई है। हाल के वर्षों में भारत में इसके मामलों में 40% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके लक्षणों में आंखों में जलन, लालपन, खुजली और धुंधलापन शामिल हैं।
स्क्रीन टाइम बना सबसे बड़ा खतरा
नेशनल आई इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, अब हर व्यक्ति दिन का लगभग 6 से 8 घंटे मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन पर बिताता है। लगातार स्क्रीन देखने से पलक झपकाने की दर कम हो जाती है, जिससे आंखों की प्राकृतिक नमी घट जाती है। इससे ड्राई आइज का खतरा बढ़ जाता है।

एसी की हवा भी नुकसानदायक
विशेषज्ञों का कहना है कि एयर कंडीशनर में लगातार रहना भी आंखों की नमी को कम करता है। अमेरिकन ऑप्टोमेट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, कम नमी वाले वातावरण में ड्राई आइज का खतरा 50% तक बढ़ जाता है। ऐसे में कमरे में ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल या थोड़ी देर पर एसी बंद करना आंखों के लिए फायदेमंद होता है।
नींद की कमी और खानपान भी कारण
शोध बताते हैं कि नींद की कमी, कॉन्टैक्ट लेंस का अधिक उपयोग, और ओमेगा-3 फैटी एसिड या विटामिन-ए की कमी भी ड्राई आइज के जोखिम को बढ़ाते हैं। रोजाना 5 घंटे से कम नींद लेने वालों में यह समस्या दो गुना तक बढ़ जाती है।
विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर आप कंप्यूटर या मोबाइल पर ज्यादा समय बिताते हैं तो हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड का ब्रेक लें और दूर देखें। पर्याप्त पानी पिएं, आंखों को ठंडे पानी से धोएं और पौष्टिक आहार लें ताकि आंखों की नमी और रोशनी बरकरार रहे।
 Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोध रिपोर्टों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सामान्य जागरूकता बढ़ाना है। यह किसी भी तरह से चिकित्सीय सलाह (Medical Advice) का विकल्प नहीं है।
यदि आपको आंखों से संबंधित कोई समस्या या तकलीफ महसूस हो रही है, तो कृपया किसी योग्य नेत्र विशेषज्ञ (Eye Specialist) से परामर्श अवश्य लें।

 

