Hazaribagh : हजारीबाग पुलिस ने सोमवार को हार्डकोर माओवादी और पूर्व जोनल कमांडर सुनील गंझू को गिरफ्तार किया है। सुनील गंझू पर झारखंड के विभिन्न थानों में कुल 54 मामले दर्ज हैं। उसे राज्य का “टेरर” भी कहा जाता था। सुनील गंझू साल 1990 से भाकपा माओवादी संगठन में सक्रिय था। वर्ष 2018 में जेल से छूटने के बाद वह फिर से संगठन में शामिल हो गया और कई नक्सली घटनाओं को अंजाम देता रहा। वह भाकपा माओवादी का उत्तरी छोटानागपुर का रीजनल कमांडर सहदेव महतो और सब जोनल कमांडर नताशा को शेल्टर देने का काम करता था।
बेलतू नरसंहार में थी संलिप्तता
सुनील गंझू का नाम झारखंड के सबसे चर्चित बेलतू नरसंहार से भी जुड़ा हुआ है। वर्ष 2001 में हजारीबाग जिले के बेलतू में हथियारबंद माओवादियों ने 13 ग्रामीणों की निर्मम हत्या की थी। जानकारी के अनुसार, ग्रामीणों का सिर काटने के बाद माओवादियों ने उस पर फुटबॉल खेला था। यह झारखंड बनने के बाद राज्य में सामूहिक हत्या की पहली घटना मानी जाती है।
गुप्त सूचना पर धराया खूंखार
एसपी अंजनी अंजन ने प्रेस वार्ता में बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जोराकाट क्षेत्र में 4 से 5 संदिग्ध व्यक्ति सक्रिय हैं। पुलिस ने घेराबंदी कर जब एक संदिग्ध को पकड़ा, तो उसने अपना नाम सुनील गंझू बताया। वह मूल रूप से चतरा जिले के पत्थलगड्डा का रहने वाला है। तलाशी के दौरान उसके झोले से नक्सली लेटर हेड और पर्चा बरामद हुआ। पूछताछ में उसने बताया कि संगठन में उसके 4-5 साथी और हैं।

संगठन के लिए बड़ा झटका
एसपी अंजन ने बताया कि सुनील गंझू नक्सलियों की मदद के लिए हजारीबाग क्षेत्र में सक्रिय था। वह नक्सली कोल कंपनी, ठेकेदार और कोयला व्यापारियों से संगठन के विस्तार के लिए लेवी वसूलने आता था। पुलिस के अनुसार इसकी गिरफ्तारी से नक्सली संगठन को बड़ा झटका लगा है और उनकी गतिविधियों में बाधा आई है। सुनील गंझू की गिरफ्तारी से हजारीबाग और आसपास के क्षेत्रों में नक्सलियों की गतिविधियों पर पुलिस की पकड़ और मजबूत हो गई है।
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