Patna : बिहार सरकार ने अपराध सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब छोटे और सामान्य अपराध करने वालों को जेल नहीं जाना पड़ेगा। इसके बजाय, उन्हें समाज के लिए काम करने का मौका मिलेगा। सरकार ने बिहार सामुदायिक सेवा नियमावली 2025 को लागू कर दिया है, जिसके तहत अपराधियों को समाज में उपयोगी कार्य करने की सजा दी जाएगी।
नए नियम के अनुसार, छह माह से तीन साल तक की सजा वाले मामलों में कोर्ट अपराधी की पृष्ठभूमि देखकर उसे सामुदायिक सेवा की सजा दे सकता है। दोषी व्यक्तियों को अस्पताल, नगर निकाय, सरकारी दफ्तर, स्कूल, पुलिस थाना, वृद्धाश्रम, वन विभाग या चिड़ियाघर जैसे स्थानों पर काम करना होगा। ये काम सफाई, पौधरोपण, ट्रैफिक नियंत्रण, पुस्तकालय प्रबंधन या दफ्तरी कार्य जैसे हो सकते हैं।
यह सुविधा खास तौर पर पहली बार अपराध करने वालों या परिस्थितियों के कारण छोटे अपराध में फंसे लोगों के लिए होगी। अपराधी को लिखित सहमति देनी होगी कि वह सामुदायिक सेवा करेगा। सजा की अवधि 1 से 31 दिन या 4 से 40 घंटे तक हो सकती है, जो अपराध की गंभीरता पर निर्भर करेगी। इस सजा से अपराधी की नौकरी या पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

अगर कोई दोषी नियम तोड़ता है, तो कोर्ट उसे नोटिस भेजेगा और नियम न मानने पर मूल सजा और जुर्माना लगाया जाएगा। सामुदायिक सेवा के दौरान कोई वेतन नहीं मिलेगा।
इस नियम को सफल बनाने के लिए जिला और राज्य स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी। जिला समिति में डीएम, एसपी, जिला कल्याण पदाधिकारी और परिवीक्षा पदाधिकारी होंगे। राज्य समिति की अगुवाई गृह विभाग का सचिव करेगा। ये समितियां दोषियों को सही जगह काम पर लगाने और उनकी निगरानी का जिम्मा संभालेंगी।
इस कदम से जेलों पर दबाव कम होगा और छोटे अपराधियों को सुधरने का मौका मिलेगा। साथ ही, समाज में जिम्मेदारी और अनुशासन की भावना बढ़ेगी। यह पहल न केवल अपराधियों के सुधार के लिए है, बल्कि समाज के लिए भी फायदेमंद साबित होगी। बिहार सरकार का यह निर्णय आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नया और प्रगतिशील बदलाव है।