Ranchi : रांची में रविवार को केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा और अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती, झारखंड इकाई के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था – “भारतीय ज्ञान परंपरा और समकालीन समाज”। इस आयोजन में शिक्षाविदों, साहित्यकारों, शोधार्थियों और समाजसेवियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्घाटन झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे सिंह के संदेश से हुआ। उन्होंने भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा पर गर्व जताते हुए ऐसे आयोजनों को नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
वहीं मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री व विधायक सी.पी. सिंह ने कहा कि हमारी संस्कृति एक जीवंत धरोहर है, जिसे अगली पीढ़ी तक पहुंचाना जरूरी है।
अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र शुक्ल ने कहा कि भारत की वैदिक संस्कृति संपूर्ण विश्व को दिशा देने में सक्षम है। इसे आधुनिक संदर्भ में समाज तक पहुंचाना समय की मांग है।
गौसेवा आयोग अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने इसे “विचारों का उत्सव” बताया, जबकि केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. रंजन कुमार दास ने भारतीयता को जीवनशैली बताया।
हिंदी साहित्य भारती के केंद्रीय महामंत्री रामनिवास शुक्ल ने कहा कि साहित्य और संस्कृति को संगठित रूप से प्रस्तुत करना जरूरी है।
द्वितीय सत्र और अध्यक्षीय भाषण
“सोच-विचार” पत्रिका के संपादक डॉ. नरेंद्र मिश्र ने संगोष्ठी की सफलता पर प्रसन्नता जताई और झारखंड इकाई की सराहना की।
संचालन और संयोजन
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता अजय राय ने किया। उन्होंने संगोष्ठी की पृष्ठभूमि और उद्देश्य विस्तार से बताए।
स्वागत भाषण
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण सज्जन ने स्वागत भाषण में भगवान बिरसा मुंडा को याद करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा को पुनर्स्थापित करने की बात कही।
शोध पत्र और विद्वानों की सहभागिता
संगोष्ठी में झारखंड के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शोधार्थियों ने 35 शोध पत्र प्रस्तुत किए। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
अन्य प्रमुख वक्ता:
- हिमांशु शुक्ल, पूर्व संपादक, दैनिक जागरण
- डॉ. सुनीता मंडल, प्रभारी मंत्री, हिंदी साहित्य भारती
- डॉ. सुनीता कुमारी, उपाध्यक्ष, हिंदी विभाग, रांची विश्वविद्यालय
- ब्रजेंद्र नाथ मिश्र, प्रदेश मीडिया प्रभारी
इस कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से लगभग 150 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। प्रमुख नामों में बलराम पाठक, राकेश कुमार, डॉ. संगीता नाथ, डॉ. आशा गुप्ता, रेणु बाला मिश्रा, अनुज कुमार पाठक, रामप्रवेश पंडित, संजय सराफ, दीपेश निराला, मुकेश साहू, अनिकेत कुमार सिंह, और अन्य शामिल रहे। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और डॉ. अरुण सज्जन के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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