Patna : BJP MP मनोज तिवारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर भोजपुरी भाषा और संस्कृति के महान संवाहक भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने की अपील की है। यह मांग ऐसे समय में सामने आई है, जब बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गर्माने लगा है। इस कदम से सांस्कृतिक और राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं, क्योंकि भिखारी ठाकुर को भोजपुरी का शेक्सपियर कहा जाता है और उनका प्रभाव बिहार के उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में बसे भोजपुरी भाषी समुदायों में गहरा है।
कौन थे भिखारी ठाकुर :
भिखारी ठाकुर का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के छपरा जिले के कुतुबपुर गांव में हुआ था। हज्जाम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भिखारी ठाकुर ने सीमित औपचारिक शिक्षा के बावजूद रामचरितमानस जैसे ग्रंथों को कंठस्थ कर मंच पर प्रस्तुत किया। उन्होंने लोक नाट्य और गीतों के माध्यम से सामाजिक जागरूकता फैलाई और भोजपुरी संस्कृति को नई ऊंचाइयां दीं।
भोजपुरी को दी नई पहचान
भिखारी ठाकुर एक गीतकार, नाटककार, निर्देशक, अभिनेता और संगीतकार के रूप में विख्यात थे। उनके नाटक जैसे बिदेसिया, गबर घिचोर और नइहर के मलम ने भोजपुरी थिएटर को नई पहचान दी। साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने उन्हें “अनगढ़ हीरा” और जगदीशचंद्र माथुर ने “भरतमुनि की परंपरा का कलाकार” कहा। उनके कार्यों ने भोजपुरी भाषा और संस्कृति को देश-विदेश में सम्मान दिलाया।
राजनीतिक संकेत और चुनावी माहौल
यह मांग बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उठी है, जिसे राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भिखारी ठाकुर का प्रभाव बिहार के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में गहरा है, और यह मांग इन क्षेत्रों में सांस्कृतिक गौरव को बढ़ाने के साथ-साथ मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास मानी जा रही है।
आगे क्या :
मनोज तिवारी की इस मांग ने भोजपुरी समुदाय में उत्साह पैदा किया है। अब सभी की निगाहें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं कि क्या भिखारी ठाकुर को भारत रत्न जैसे सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाएगा। यह कदम न केवल सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देगा, बल्कि बिहार के चुनावी परिदृश्य में भी नई हलचल पैदा कर सकता है।