Patna : बिहार में पत्थर की बढ़ती मांग को पूरा करने और झारखंड पर निर्भरता कम करने के लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने बड़ी पहल शुरू की है। बांका, गया, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद और कैमूर जिलों की पहाड़ियों को पत्थर खनन के लिए चिह्नित किया गया है। मुख्य सचिव ने इन जिलों के समाहर्ताओं से जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी है। इस योजना से सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व मिलेगा और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
बांका में शुरू होगा पत्थर खनन
बांका के खनिज विकास पदाधिकारी कुमार रंजन ने बताया कि भागलपुर-मुंगेर सीमा पर शंभूगंज अंचल में 20 एकड़ की पहाड़ी को खनन के लिए चुना गया है। यहां से करीब 70 लाख टन पत्थर निकाले जा सकते हैं, जिससे सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही, स्टोन क्रशर इकाइयों की स्थापना से कई लोगों को नौकरी मिलेगी। बांका में खनन शुरू होने पर यह बालू के बाद राजस्व संग्रह में प्रमंडल स्तर पर सबसे बड़ा जिला बन सकता है। हालांकि, भागलपुर की पहाड़ियों में अन्य खनिजों की संभावना के कारण वहां खनन की अनुमति नहीं दी गई है।
पर्यावरण सुरक्षा पर दिया जा रहा जोर
फिलहाल बिहार में केवल शेखपुरा और गया में ही पत्थर खनन हो रहा है। पहले 2002 तक बिहार के 13 जिलों में 351 खदानों के जरिए 993 एकड़ में खनन होता था, लेकिन बाद में खदानों की संख्या कम कर दी गई। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 2021 में स्टोन क्रशर इकाइयों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं। इसमें धूल नियंत्रण के लिए 12 फीट ऊंची दीवार और जल छिड़काव के लिए स्थायी पाइपलाइन अनिवार्य है। इन नियमों के जरिए खनन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की कोशिश की जा रही है।
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