Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    17 Jun, 2025 ♦ 8:53 PM
    • About Us
    • Contact Us
    • Webmail
    Facebook X (Twitter) Instagram YouTube Telegram WhatsApp
    Johar LIVEJohar LIVE
    • होम
    • देश
    • विदेश
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुड़
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सराइकेला-खरसावां
      • साहेबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • राजनीति
    • बिहार
    • कारोबार
    • खेल
    • सेहत
    • अन्य
      • मनोरंजन
      • शिक्षा
      • धर्म/ज्योतिष
    Johar LIVEJohar LIVE
    Home»जोहार ब्रेकिंग»कोरोना: ‘मनरेगा’ से मुंह मोड़ रहे हैं श्रमिक, अब दोबारा करने लगे शहरों का रुख
    जोहार ब्रेकिंग

    कोरोना: ‘मनरेगा’ से मुंह मोड़ रहे हैं श्रमिक, अब दोबारा करने लगे शहरों का रुख

    Team JoharBy Team JoharAugust 19, 2020No Comments4 Mins Read
    Share Facebook Twitter Telegram WhatsApp Email Copy Link
    Share
    Facebook Twitter Telegram WhatsApp Email Copy Link

    Joharlive Desk

    नई दिल्ली। कोरोना फैलने के बाद शहरों में काम करने वाले करोड़ों श्रमिक संक्रमण के डर से अपने गांव लौट गए थे। उनके पास जाने का कोई साधन नहीं था, तो वे पैदल ही चल पड़े थे। केंद्र एवं राज्य सरकारों ने उनके लिए गांव में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम-धंधे का जुगाड़ कर दिया। मार्च के बाद पहले चार महीनों में लगभग साढ़े पांच करोड़ परिवारों ने मनरेगा का फायदा उठाया। एक परिवार में से किसी न किसी सदस्य को कोई काम मिल गया।

    लेकिन अब काम लेने वालों का आंकड़ा कम होने लगा है। जुलाई में मनरेगा के तहत 3.08 करोड़ परिवारों ने काम के लिए आवेदन दिया था, तो वहीं जून में यह संख्या 4.07 करोड़ थी। चालू माह की बात करें तो 15 तारीख तक 1.48 करोड़ लोगों ने ही रोजगार की मांग की है।
    अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के वर्किंग ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य और सामाजिक मामलों के जानकार अविक साहा कहते हैं, आप ही बताएं कि जो मजदूर शहर छोड़कर इसलिए भागे थे ताकि उनकी जान बच गए। अब शहरों में कोरोना का तांडव जारी है तो वे मजदूर दोबारा से शहर आ रहे हैं।
    उन्हें पैसे का लालच है, वजह ये नहीं है। मनरेगा में काम और भुगतान को लेकर अनेक कमियां हैं। अगर वहां देखेंगे तो कारण समझ में आ जाएगा।
     
    बता दें कि लॉकडाउन-1 के बाद जून-जुलाई माह में मनरेगा के तहत रोजगार लेने वालों की संख्या में कमी देखी गई है। मार्च में जब कोरोना संक्रमण ने शहरी इलाकों में पांव पसारने शुरू किए, तो वहां से भारी संख्या में श्रमिकों ने अपने गांव लौटना शुरू कर दिया था।

    केंद्र सरकार ने गांव में रोजगार मुहैया कराने के लिए बड़े पैकेज की घोषणा कर दी। राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर कुछ न कुछ करती हुई दिखीं। गांव में पहुंचे श्रमिकों को खाद्य सामग्री भी मुहैया कराई गई। शहरों में अभी तक कोरोना संक्रमण का कहर जारी है, इसके बावजूद श्रमिक गांवों से शहरों में लौटने लगे हैं।

    कुछ लोग इसका कारण शहरों में दोबारा से शुरू हुईं आर्थिक गतिविधियों को मान रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के सदस्य अविक साहा बताते हैं कि कामगार गांव इसलिए गया था कि वहां उसकी जिंदगी बच जाएगी।

    वह शहर से हजारों किलोमीटर दूर पैदल चलकर इसलिए गया था क्योंकि वह खुद को कोरोना की चपेट में नहीं आने देना चाहता था। शहरों में तो आज भी वही स्थिति है। कोरोना संक्रमण फैल रहा है। बताया जा रहा है कि अब तो कोरोना बिना लक्षणों के ही लोगों को अपनी चपेट में ले लेता है।
    श्रमिक को केवल उसके परिवार के भरण पोषण के लिए चाहिए
    अगर मजदूर आज दोबारा से शहर लौट रहा है, तो उसका कारण है। गांव में मनरेगा के तहत उसे उतना काम नहीं मिल रहा है, जितना उसे परिवार के भरण पोषण के लिए चाहिए। कहीं पर काम मिलने का संकट है तो कहीं मजदूरी का। इश्तेहार लगाने से सच्चाई नहीं छिप सकती।

    कई राज्यों की सरकारों ने तो श्रमिकों को खाद्य सामग्री भी दी है। अगर ऐसे में उन्हें मनरेगा में नियमित काम मिल जाए तो वे उसी शहर की ओर क्यों आएंगे, जहां से वे जान बचाने के लिए भागे थे। सच्चाई यह है कि मनरेगा में बहुत सी कमियां हैं, जिसके चलते मजदूरों को अब शहर में आना पड़ रहा है।

    कहीं पर राशन वितरण की प्रणाली ठीक नहीं है, तो कहीं पर्याप्त राशन नहीं मिल रहा। मजबूरन श्रमिक को उसी शहर में लौटना पड़ रहा है जहां अभी कोरोना पैर पसार रहा है। यदि गांव में केवल खाद्य सामग्री और मनरेगा में नियमित काम-धंधा मिलता है तो श्रमिक शहर का रुख नहीं करेगा।

    अप्रैल में जब श्रमिकों की आवाजाही जारी थी, तो उस वक्त पहले दो सप्ताह में मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या 1.25 का आंकड़ा पार कर गई थी। अगले माह यानी मई में 3.33 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत रोजगार के लिए आवेदन दिया था।

    -जितेंद्र भारद्वाज

    Latest news National news Online news
    Follow on Facebook Follow on X (Twitter) Follow on Instagram Follow on YouTube Follow on WhatsApp Follow on Telegram
    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Telegram WhatsApp Email Copy Link
    Previous Articleकोरोना के कारण भारत में अप्रैल से अब तक 1.89 करोड़ वेतनभोगियों ने नौकरी छूटी
    Next Article लालू ने ट्वीट कर नीतीश कुमार को बताया पलटू, कार्टून भी किया पोस्ट, डीएनए का मुद्दा भी उठाया

    Related Posts

    जोहार ब्रेकिंग

    राजधानी में वकील और नेता से मांगी रंगदारी, नहीं देने पर अंजाम भुगतने की दी धमकी

    June 17, 2025
    जोहार ब्रेकिंग

    झारखंड शराब घोटाला : ACB ने पूर्व उत्पाद कमिश्नर अमित प्रकाश को किया अरेस्ट

    June 17, 2025
    चाईबासा

    रेस्टोरेंट में रेड, तीन किलो नकली पनीर बरामद, 10 हजार जुर्माना

    June 17, 2025
    Latest Posts

    राजधानी में वकील और नेता से मांगी रंगदारी, नहीं देने पर अंजाम भुगतने की दी धमकी

    June 17, 2025

    झारखंड शराब घोटाला : ACB ने पूर्व उत्पाद कमिश्नर अमित प्रकाश को किया अरेस्ट

    June 17, 2025

    रामगढ़ डीसी ने 50 हजार लोगों को दिलाई फर्स्ट एड ट्रेनिंग

    June 17, 2025

    वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रियों को परोसा गया घटिया खाना, फूड मैनेजर पर फूटा गुस्सा

    June 17, 2025

    रातू रोड फ्लाईओवर का नाम शहीद अभिषेक कुमार साहू के नाम पर रखने की मांग, राष्ट्रीय युवा शक्ति ने शुरू किया हस्ताक्षर अभियान

    June 17, 2025

    © 2025 Johar LIVE. Designed by Forever Infotech.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.