Khagaria : गंगा और कोसी नदी के किनारे चल रही कटाव रोधी परियोजनाओं में भारी अनियमितताओं का पर्दाफाश हुआ है। खगड़िया से सांसद राजेश वर्मा के औचक निरीक्षण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि कई ठेकेदार तय मानकों की अनदेखी कर परियोजना को अंजाम दे रहे हैं, जिससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि स्थानीय पर्यावरण भी खतरे में पड़ गया है।
सूखी बालू के स्थान पर गीली मिट्टी
निरीक्षण के दौरान सांसद वर्मा ने पाया कि जियो बैग में सूखी बालू की जगह गीली मिट्टी भरी जा रही है। इतना ही नहीं, निर्धारित मजबूत जियो बैग की बजाय सीमेंट की पुरानी बोरियों का उपयोग हो रहा था। यह स्पष्ट रूप से परियोजना मानकों का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि 150 मीटर से अधिक बल्ला पाइलिंग कार्य को पूर्ण घोषित किया गया था, लेकिन मौके पर वह कार्य अधूरा निकला।
तेलिहार में भी भ्रष्टाचार
बेलदौर प्रखंड के तेलिहार क्षेत्र में कोसी नदी के किनारे हो रहे कार्यों में भी इसी तरह की धांधली सामने आई। जियो बैग का वजन केवल 110 से 120 किलो पाया गया, जबकि यह तय मानक से काफी कम है। सांसद ने आरोप लगाया कि यह सब अधिकारियों और ठेकेदारों के गठजोड़ का नतीजा है।
स्थानीय खनन और पर्यावरण की अनदेखी
सांसद वर्मा ने यह भी बताया कि परियोजना में इस्तेमाल हो रही निर्माण सामग्री को पास के ही इलाकों से अवैध रूप से खनन कर लाया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है। यह न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि स्थानीय संसाधनों की लूट भी है।
विभागीय अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप
निरीक्षण के दौरान जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता ने स्वीकार किया कि एजेंसियां कार्य में गड़बड़ी कर रही हैं। सांसद ने यह भी सवाल उठाया कि जेई मणिकांत पटेल और शेखर गुप्ता जैसे अधिकारी पिछले 7 वर्षों से खगड़िया में ही तैनात हैं। यह स्थिति विभागीय मिलीभगत की आशंका को और मजबूत करती है।
सांसद ने जल संसाधन मंत्री को लिखा पत्र, की ये प्रमुख मांगें :
- सभी संदिग्ध एजेंसियों के भुगतान पर तुरंत रोक लगाई जाए।
- राज्य स्तर की इंजीनियरों की टीम से निष्पक्ष और गहन जांच कराई जाए।
- जांच पूरी होने तक किसी भी एजेंसी को भुगतान न किया जाए।
- दोषी पाए जाने पर एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट किया जाए।
- वर्षों से एक ही जगह तैनात अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
खगड़िया जिले में गंगा और कोसी नदी के किनारे हो रहे कटाव रोधी कार्यों में सामने आए ये घोटाले राज्य सरकार के जल संसाधन प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो इसका खामियाजा न केवल सरकारी खजाने को उठाना पड़ेगा, बल्कि हजारों लोगों की ज़िंदगी और पर्यावरण भी खतरे में पड़ सकता है।
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