चाईबासा: मनोहरपुर प्रखंड के तरतरा गांव निवासी इंजीनियर अह्लाद नंदन की ईरान में सड़क दुर्घटना में मौत के बाद परिजनों को गलत शव सौंपे जाने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक महीने की लंबी कागजी प्रक्रिया और सरकारी प्रयासों के बाद जब शव गांव पहुंचा तो ताबूत खोलते ही परिजन स्तब्ध रह गए — अंदर किसी और युवक का शव था।
27 मार्च 2025 को ईरान में एक सड़क दुर्घटना में अह्लाद की मृत्यु हुई थी। वह वहां बीएनडी याट शिप मैनेजमेंट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत थे। हादसे के बाद उनके शव को भारत भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई जो 28 अप्रैल को कोलकाता एयरपोर्ट पहुंचा। परिजनों का आरोप है कि एयरपोर्ट पर शव दिखाने की मांग के बावजूद उन्हें अनुमति नहीं दी गई।
शव को गांव लाकर जब ताबूत खोला गया, तो उसमें न तो कोई पहचान का चिन्ह था और न ही अह्लाद जैसा कोई शारीरिक निशान। परिवार ने बताया कि अह्लाद के दाहिने पैर पर ऑपरेशन का निशान था जो इस शव में नहीं था।
जांच में सामने आया कि शव उत्तर प्रदेश के जौनपुर निवासी शिवेंद्र प्रताप सिंह का था, जिसकी मौत उसी हादसे में हुई थी। शिवेंद्र का शव दिल्ली भेजा जाना था, जबकि अह्लाद का शव कोलकाता। शवों की अदला-बदली के कारण यह त्रुटि हुई। शिवेंद्र के पिता संदीप प्रताप सिंह को जब तस्वीरें भेजी गईं, तो उन्होंने पुष्टि की कि शव उनके बेटे का है।
अह्लाद के परिजनों ने भारतीय दूतावास पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एक महीने इंतजार करने के बाद यह गलती कैसे हुई, इसका जवाब प्रशासन और विदेश मंत्रालय को देना चाहिए।
घटना की सूचना मिलते ही मनोहरपुर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी जयदीप लकड़ा, अंचलाधिकारी प्रदीप कुमार और थाना प्रभारी अमित कुमार मौके पर पहुंचे। जिला प्रशासन के निर्देश पर शव को चक्रधरपुर स्थित शीतगृह में रखवाया गया है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि शिवेंद्र के परिजन जब पहचान की पुष्टि करेंगे, तभी शव उन्हें सौंपा जाएगा।
अब अह्लाद के परिजन एक बार फिर अपने बेटे का असली शव लाने के लिए भारतीय दूतावास और जिला प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं। अह्लाद, सेवानिवृत्त शिक्षक रामानंदन महतो के द्वितीय पुत्र थे। वे 17 अगस्त 2024 को नौकरी के सिलसिले में ईरान गए थे। उनकी आकस्मिक मौत और उसके बाद की इस प्रशासनिक लापरवाही ने परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है।