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    Home»बिहार»बिहार में डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए अब गोताखोरों का इंतजार नहीं, नई तकनीक से होगा काम
    बिहार

    बिहार में डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए अब गोताखोरों का इंतजार नहीं, नई तकनीक से होगा काम

    Kajal KumariBy Kajal KumariDecember 23, 2024No Comments3 Mins Read
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    बिहार : बिहार में अब पानी में डूबे हुए लोगों की तलाश के लिए गोताखोरों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. इस काम के लिए एक खास तकनीकी डिवाइस तैयार किया गया है, जो डूबे हुए व्यक्ति की तलाश करेगा. बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने इसकी कवायद शुरू कर दी है और दो कंपनियों ने अपने उपकरणों का ट्रायल प्रस्तुत किया है. इन उपकरणों को तकनीकी रूप से और उन्नत करने को कहा गया है, जिसके बाद इन्हें खरीदने पर विचार किया जाएगा.

    ट्रायल देने वाली कंपनियां और उपकरण

    बिहार में हर साल करीब 2,000 लोग डूबने से मर जाते हैं, और वर्तमान में गंगा, कोसी जैसी नदियों में डूबे व्यक्तियों की तलाश के लिए गोताखोरों का सहारा लिया जाता है. इनकी तलाश में घंटों या कई दिनों तक का समय लगता है, और कई बार शव नहीं मिल पाते हैं. इस समस्या से निपटने के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने तकनीकी उपकरणों का सहारा लेने का फैसला किया है. इसके लिए दो कंपनियों ने अपने यंत्रों का ट्रायल दिया है, जिनमें से एक “यूसेफ” और दूसरा “आरओयूवी” है.

    कैसे काम करेगा उपकरण?

    इन दोनों उपकरणों को पानी में रिमोट की मदद से संचालित किया जा सकता है. “यूसेफ” उपकरण घटना स्थल पर तुरंत पहुंचकर व्यक्ति को सुरक्षित स्थान पर लाने में सक्षम है और यह 300 मीटर से लेकर तीन किलोमीटर तक की दूरी पर काम कर सकता है. यह 180 से 200 किलोग्राम तक का वजन भी लाने में सक्षम है. वहीं, “आरओयूवी” उपकरण पानी की गहराई तक जाकर लाइव फुटेज भेजने में सक्षम है. इसमें दो उच्च क्षमता वाले कैमरे हैं जो अंधेरे और मटमैले पानी में भी 6000 ल्यूमेन की प्रकाश व्यवस्था के साथ फोटो खींच सकते हैं.

    उपकरण की तकनीकी उन्नति

    बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दो दिन पहले इन उपकरणों का ट्रायल लिया और पहले चरण के ट्रायल में दोनों उपकरणों को और बेहतर बनाने का निर्देश दिया है. इस दौरान यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि यंत्र किसी चीज से टकराने से बचें ताकि यह और प्रभावी ढंग से काम कर सके. वर्तमान में गोताखोर गहराई में जाकर केवल सीमित दूरी तक ही तलाश कर पाते हैं, लेकिन इन उपकरणों की मदद से गोताखोरों को तकनीक से लैस किया जाएगा.

    आगे की योजना

    यदि ट्रायल सफल होता है, तो इन उपकरणों की खरीद की जाएगी और इन्हें एसडीआरएफ (राज्य आपदा मोचन बल) और एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) को सौंपा जाएगा, ताकि डूबे हुए व्यक्तियों की तलाश को तेज और प्रभावी तरीके से किया जा सके.

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