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    Home»झारखंड»जमशेदपुर»लोकसभा चुनाव 2024 : जमशेदपुर सीट पर बीजेपी से विद्युत वरण महतो कन्फर्म, JMM से आस्तिक महतो लाइन में, षाड़ंगी के नाम पर संशय!
    जमशेदपुर

    लोकसभा चुनाव 2024 : जमशेदपुर सीट पर बीजेपी से विद्युत वरण महतो कन्फर्म, JMM से आस्तिक महतो लाइन में, षाड़ंगी के नाम पर संशय!

    Team JoharBy Team JoharApril 1, 2024No Comments6 Mins Read
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    जमशेदपुर : लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी पार्टियां तैयारी में जुट गईं हैं. चुनाव के लिहाज से बड़ी सीट मानी जाने वाली जमशेदपुर संसदीय क्षेत्र में लगभग 3.5 लाख कुड़मी, 5 लाख आदिवासी, 2 लाख से अधिक मुस्लिम और 30 हजार ईसाई मतदाताओं वाला यह निर्वाचन क्षेत्र भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को दर्शाता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 17.5 लाख होने का अनुमान है.

    2019 चुनाव का परिणाम

    बता की जाए 2019 लोकसभा की तो भाजपा 6,79,632 वोटों के साथ अग्रणी पार्टी के रूप में उभरी, जबकि झामुमो 3,77,542 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. हालांकि, उसी वर्ष हुए राज्य विधानसभा चुनावों में नतीजे बिल्कुल अलग थे. बीजेपी का एक भी विधायक प्रत्याशी नहीं जीत सका. इस लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, बहरागोड़ा पूर्वी सिंहभूम, घाटशिला (एसटी), पोटका (एसटी), जुगसलाई (एससी), जमशेदपुर पश्चिम और जमशेदपुर पूर्व. इन छह निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व झारखंड मुक्ति मोर्चा के चार विधायकों और दो अन्य विधायकों, एक कांग्रेस पार्टी से और एक निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय द्वारा किया जाता है.

    बीजेपी और जेएमएम में होगी कांटे की टक्कर

    चुनावी मौसम नजदीक आते ही सबकी नजरें जमशेदपुर संसदीय सीट पर हैं.  अपनी औद्योगिक शक्ति और विविध आबादी के लिए जाना जाने वाला यह निर्वाचन क्षेत्र हमेशा राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. इस साल का चुनाव भी अलग नहीं है, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) एक बार फिर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हैं.

    जेएमएम से आस्तिक महतो लाइन में, षाड़ंगी के नाम पर संशय

    भाजपा ने अपने दो बार के सांसद विद्युत वरण महतो को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, सूत्रों के मुताबिक झामुमो अभी भी दो संभावित उम्मीदवारों – कुणाल सारंगी (अगर वह भारतीय जनता पार्टी का त्याग कर झारखंड मुक्ति मोर्चा ज्वाइन करते हैं तब) और आस्तिक महतो पर विचार कर रहा है. इस फैसले से जमशेदपुर के लोगों के बीच कई अटकलें और चर्चाएं शुरू हो गई हैं, क्योंकि दोनों पार्टियों को आबादी के विभिन्न वर्गों पर मजबूत पकड़ के लिए जाना जाता है.

    उम्मीदवार और आगामी चुनाव पर संभावित प्रभाव

    भाजपा के उम्मीदवार विद्युत वरण महतो एक मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं. विद्युत खुद अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं और विभिन्न पार्टियों के भीतर महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं और दो बार से भाजपा के सांसद हैं. इन्हें प्रसिद्धि अलग झारखंड राज्य आंदोलन के दौरान मिली. पार्टी में अपनी गहरी जड़ों और राजनीति में अपने अनुभव के साथ, विद्युत संसदीय सीट के लिए एक मजबूत दावेदार प्रतीत होते हैं. हालांकि, जो चीज़ उन्हें अपने विरोधियों पर बढ़त देती है, वह कुड़मी समुदाय के साथ उनका संबंध है. इस निर्वाचन क्षेत्र में लगभग 350,000 कुड़मी मतदाता हैं, उनका समर्थन इस चुनाव के नतीजे तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विद्युत महतो के लिए यह आसान है. झामुमो दो संभावित उम्मीदवारों पर भी विचार कर रहा है जो उन्हें कड़ी टक्कर दे सकते हैं.

    टिकट कंफर्म होने पर बीजेपी छोड़ सकते है कुणाल षाड़ंगी!

    सूत्रों के मुताबिक कुणाल षाड़ंगी को झामुमो के नामांकन की दौड़ में आगे माना जा रहा है. सूत्र यह भी बताते हैं कि अगर इनका टिकट कंफर्म होता है तब ही वे बीजेपी से इस्तीफा देंगे. अभी तक उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से त्यागपत्र नहीं दिया है. पूर्व में वे झारखंड मुक्ति मोर्चा से बाहरगोड़ा के विधायक भी रहे हैं. इसके साथ साथ एक विद्वान हाई प्रोफाइल नेता के रूप में उनकी पृष्ठभूमि और विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में उनकी भागीदारी ने उन्हें जमशेदपुर में मतदाताओं के बीच एक लोकप्रिय व्यक्ति बना दिया है. इंडिया अलायंस को कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कम्युनिस्ट पार्टी समर्थकों का भी समर्थन हासिल है, जो कुणाल के पक्ष में काम कर सकता है.

    झामुमो के दूसरे उम्मीदवार हो सकते हैं आस्तिक महतो

    झामुमो के दूसरे संभावित उम्मीदवार आस्तिक महतो हो सकते हैं. जो बात आस्तिक महतो की दावेदारी को दिलचस्प विकल्प बनाती है, वह है भाजपा के उम्मीदवार विद्युत वरण महतो के साथ उनकी दोस्ती. वे दोनों अपने कॉलेज के दिनों से दोस्त हैं और वर्षों से सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए हुए हैं. दोनों ने अलग झारखंड राज्य आंदोलन में एक साथ आगे बढ़कर हिस्सा लिया.

    आस्तिक की सामुदायिक भागीदारी और जमशेदपुर के लोगों के मुद्दों के बारे में उनकी समझ भी उनके लिए फायदेमंद हो सकती है. वह क्षेत्र में विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं, वह झारखंड अलग राज्य आंदोलन के नेता भी थे, जिससे उन्हें स्थानीय लोगों के बीच अच्छी प्रतिष्ठा मिली. लेकिन जो बात इस दौड़ को और भी दिलचस्प बनाती है वह यह है कि आस्तिक और विद्युत दोनों एक ही समुदाय-कुड़मी से हैं. इससे संभावित रूप से पारंपरिक कुड़मी वोट बैंक में विभाजन हो सकता है, जो हमेशा भाजपा का गढ़ रहा है.

    मतदाता और सामाजिक तानाबाना

    कुड़मी समुदाय के अलावा, अन्य कारक भी हैं जो इस चुनाव के नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं. इस निर्वाचन क्षेत्र में आदिवासी, मुस्लिम और ईसाई मतदाताओं की बड़ी संख्या में उपस्थिति इसे दोनों पार्टियों के लिए एक विविध खेल का मैदान बनाती है. लेकिन एक मजेदार तत्व यह है कि जमशेदपुर एक औद्योगिक शहर है, जिसमें बाहर वाले लोग अधिक है और परंपरागत तौर पर यह लोग भारतीय जनता पार्टी के वोटर रहे हैं.

    झामुमो, आदिवासी मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करके कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ गठबंधन करके, आदिवासी वोट बैंक को आकर्षित कर सकता है. दूसरी ओर, भाजपा का मोदी लहर विकासोन्मुख एजेंडा और अल्पसंख्यक समुदायों तक पहुंचने के उसके प्रयास भी उनके पक्ष में काम कर सकते हैं.

    मतदाताओं को लुभाने में जुटी पार्टियां, कैसे बने निर्णायक

    दोनों पार्टियों की इतनी विविध जनसांख्यिकी और गढ़ों के साथ, यह भविष्यवाणी करना मुश्किल है कि इस दौड़ में कौन विजेता बनेगा. यह सब इस बात पर निर्भर करेगा कि ये उम्मीदवार जमशेदपुर के लोगों से कितनी अच्छी तरह जुड़ पाते हैं और उनकी चिंताओं को दूर कर पाते हैं.

    जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे जमशेदपुर संसदीय सीट की लड़ाई और तेज होती जा रही है. दोनों पार्टियां मतदाताओं को लुभाने और अपनी जीत पक्की करने के लिए कोई कसर नहीं छोडेंगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि यह गतिशीलता कैसे काम करती है और कौन सा उम्मीदवार अंततः जमशेदपुर के लोगों का विश्वास और समर्थन जीतता है.

    इसे भी पढ़ें: LPG की कीमत में बड़ी राहत, 30 रुपये कम हो गए दाम, जानिए नया रेट

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