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    Home»ट्रेंडिंग»क्या भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन मात्र से चैंपियन कुश्ती खिलाड़ियों की शिकायतों का निपटारा हो गया?
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    क्या भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन मात्र से चैंपियन कुश्ती खिलाड़ियों की शिकायतों का निपटारा हो गया?

    Team JoharBy Team JoharDecember 27, 2023No Comments14 Mins Read
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    या फिर भाजपा अपने दुलरुआ सांसद बृज भूषण शरण सिंह को बचाने का रचा है नया स्वांग?

    नीरज प्रियदर्शी, स्वतंत्र पत्रकार

    पटना : भारत सरकार के खेल मंत्रालय ने आख़िरकार कुश्ती खिलाड़ियों के लगातार आरोपों के कारण दबाव में आकर भारतीय कुश्ती महासंघ की मान्यता रद्द करने व नव निर्वाचित संघ को सस्पेंड करने का फैसला किया है. तीन दिन पहले 22 दिसंबर को ही हुए चुनाव में संजय सिंह को WFI यानी भारतीय कुश्ती महासंघ का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था. मालूम हो कि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के साथ महिला एवं पुरुष खिलाड़ियों के साथ पिछले 11 महीनों से विवाद चल रहा था.

    भारत की एकमात्र ओलंपक पदक विजेता कुश्ती पहलवान साक्षी मलिक समेत कुछ महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया था, जबकि ओलंपिक पदक विजेता एवं पद्मश्री से सम्मानित कुश्ती पहलवान बजरंग पुनिया समेत कुछ पहलवानों ने भाजपा सांसद के ख़िलाफ़ पक्षपात एवं शोषण का आरोप लगाया था. कुश्ती खिलाड़ियों का एक बड़ा दल महीनों से उनकी बर्ख़ास्तगी और गिरफ़्तारी की मांग कर रहा था.

    इस दौरान विरोध प्रदर्शनों और मीडिया में कई बार अपनी बात रखने के बावजूद भी जब सरकार की तरफ़ से बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई और भाजपा सांसद ने उल्टा अपने रसूख़ और प्रभाव का इस्तेमाल करके नया चुनाव करवाकर अपने करीबी संजय सिंह को ही नया अध्यक्ष बनवा दिया,  तब विरोध कर रहे कुश्ती खिलाड़ियों के सब्र का बांध टूट गया.

    नये अध्यक्ष बनते ही संजय सिंह ने अंडर-15 और अंडर-20 का ट्रायल गोंडा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने को घोषणा भी कर दी. इधर दूसरी तरफ़ सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं होती देख और बृज भूषण शरण सिंह का प्रभाव संघ में लगातार बढ़ते ही जाने से कुश्ती खिलाड़ियों की नाराज़गी इस हद तक पहुंच गई कि साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया और अपने जूते उतार दिए. वहीं बजरंग पुनिया ने भी अपने पद्मश्री पुरस्कार को लौटाने की घोषणा कर दी और उसे प्रधानमंत्री को लौटाने पहुंच गए. सुरक्षा कर्मियों ने रोका तो अपना पुरस्कार गेट के पास रखकर लौट गए. इस तरह नए कुश्ती संघ का चुनाव और बृज भूषण शरण सिंह को लगातार भाजपा के शीर्ष नेताओं से बचाया जाता देख खिलाड़ियों का सब्र का बांध टूट गया. नेशनल मीडिया में उनके दुख और करुण व्यथा के प्रेस कॉन्फ़्रेंस प्रसारित होने लगे. इससे जनमानस के बीच भाजपा सरकार के खिलाफ आवाज़ें मुखर रूप से उठने लगी थीं. भाजपा ने अब जैमेज कंट्रोल करने के वास्ते नई चाल चली है. खेल मंत्रालय ने नए कुश्ती संघ को ही निलंबित कर दिया है. उसके सभी आदेश भी रद्द हो गए हैं. यह जानकारी समाचार एजेंसी पीटीआई और एवं एनआई ने दी है. हालांकि, मीडिया ने संजय सिंह से इस बाबत पूछा तो उनका जवाब है कि अभी उन्हें मंत्रालय की चिट्ठी नहीं मिली है, चिट्ठी पढ़ने के बाद ही जवाब दे पायंगे.

    खेल मंत्रालय की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि आख़िर किन कारणों से नए कुश्ती संघ का निलंबन हुआ है, क्योंकि विरोध कर रहे खिलाड़ियों की नाराज़गी और उनकी मांग तो पिछले ग्यारह महीनों से चली आ रही है. यदि केवल बृज भूषण शरण‌ का विरोध कर रहे खिलाड़ियों की मांगों के आधार पर फ़ैसला हुआ है तो उनकी असल मांग तो ये थी कि पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें गिरफ़्तार किया जाए.

    पर यहां  इस मामले में हुई कार्रवाई को देखकर लगता है कि भाजपा सरकार का केंद्रीय नेतृत्व की ओर से अभी भी बृज भूषण शरण सिंह को बचाने के लिए एवं इस मामले को रफ़ा दफ़ा करने के लिए नए कुश्ती संघ के निलंबन का स्वांग रचा गया गया है.

    वैसे, एक से बात ये ज़रूर कहीं जा रही है कि बृज भूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही गोंडा में अंडर 15 और अंडर 16 कराने का आदेश ही उनके निलंबन का कारण बनी है. क्योंकि एक दिन पहले शनिवार की शाम को ही महिला कुश्ती पहलवान साक्षी मलिक ने ट्वीट करके डब्ल्यूएफआई के एक फ़ैसले पर आपत्ति दर्ज करायी थी.

    साक्षी ने शनिवार की शाम सोशल मीडिया साइट X पर लिखा था, “मैंने कुश्ती छोड़ दी है, पर कल रात से परेशान हूं. वे जूनियर महिला पहलवान क्या करें जो मुझे फ़ोन करके बता रही हैं कि दीदी इस 28 तारीख़ से जूनियर नेशनल होने हैं और वो नए कुश्ती फेडरेशन ने नंदनी नगर, गोंडा में करवाने का फ़ैसला लिया है.”

    साक्षी ने सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि अपनी आपत्ति का कारण समझाते लिखा था, “गोंडा बृजभूषण का इलाक़ा है. अब आप सोचिए कि जूनियर महिला पहलवान किस माहौल में कुश्ती लड़ने वहां जायेंगी. क्या इस देश में नंदनी नगर के अलावा कहीं पर भी नेशनल करवाने की जगह नहीं है क्या? समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ.”

    लेकिन, एक बात ज़रूर है कि देर से ही सही और महज़ दिखावे के संदेश के लिए ही सही, खेल मंत्रालय द्वारा कुश्ती संघ के निलंबन का फ़ैसला स्वागत योग्य है. इससे संघ का और बृज भूषण शरण सिंह का विरोध कर रहे कुश्ती खिलाड़ियों के बीच ख़ुशी का मौक़ा बना है.

    कुश्ती पहलवानों ने कहा कि मंत्रालय का यह स्वागत योग्य कदम है, मगर इस मामले में हमें न्याय तभी मिल पाएगा जब भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी होगी, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी और कुश्ती संघ से उनके प्रभाव को ख़त्म किया जाएगा.

    भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के फ़ैसले का स्वागत भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने भी किया है. कांग्रेस की ओर से ये बयान जारी किया गया है कि महिला खिलाड़ियों के सम्मान में केंद्र सरकार का ये फ़ैसला स्वागत योग्य तो ज़रूर है मगर आंखों में धूल झोंकने जैसा है. क्योंकि जिस व्यक्ति के खिलाफ महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण, भेदभाव और पक्षपात का आरोप लगाया था, वह तो अभी भी खुलेआम घूम रहा है, अपनी राजनीति कर रहा है, अपने हिसाब से कुश्ती संघ को चला रहा है और फिर भी भाजपा का सांसद बना हुआ है.

    कांग्रेस का यह भी कहना है कि अगर नरेंद्र मोदी की सरकार महिलाओं के सम्मान के लिए इतनी ही सजग है तो अब तक मुख्य आरोपी बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी तो छोड़िए पूछताछ भी नहीं हो सकी है.

    आख़िर में सवाल ये उठता है कि क्या खेल मंत्रालय द्वारा कुश्ती संघ के निलंबन का यह फ़ैसला वाक़ई उम्मीद जगाता है कि सरकार ने अब बृज भूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की दिशा में आगे बढ़ेगी और महिला पहलवानों के आरोपों की निष्पक्ष जांच हो पाएगी?

    आपको इसका जवाब बृज भूषण शरण सिंह के प्रोफ़ाइल पता करने से मिल जाएगा. बृज भूषण शरण सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं. युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुजरा है. 1988 में बीजेपी से जुड़े. 19911 में पहली बार बीजेपी से सांसद बने. तब से छह बार लोकसभा के लिए चुने गए. 2011 से ही कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष. अब बेटे प्रतीक को भी गोंडा से बीजेपी विधायक बनवा दिया है. बृज भूषण शरण सिंह के प्रोफ़ाइल से आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि आख़िर बीजेपी की सरकार उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से बचती क्यों नज़र आ रही है!

    चूंकि, बृज भूषण शरण सिंह का मामला जब संसद में उठा था तब केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने यह बयान दिया था और विरोध कर रहे पहलवानों को आश्वासन दिया था कि बृज भूषण शरण सिंह और उनके क़रीबियों को संघ से बाहर कर दिया जाएगा.

    लेकिन, आलम यह है कि अमित शाह के आश्वासन के महीनों गुजर जाने के बाद भी बृज मोहन सिंह के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे उस व्यक्ति को संघ का चेयरमैन बना दिया गया. संजय सिंह न सिर्फ़ राजनीति में उनका सहयोगी है, बल्कि बिज़नेस पार्टनर भी है.

    बहरहाल अख़बारों में कुश्ती संघ के निलंबन को लेकर जो खबरें छपी हैं उनके अनुसार खेल मंत्रालय ने निलंबन के फ़ैसले पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि भारतीय कुश्ती महासंघ ने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया और पहलवानों की तैयारी के लिए पर्याप्त समय दिए बिना अंडर 15 और अंडर 20 राष्ट्रीय चैंपियनशिप का आयोजन करने की जल्दीबाज़ी में घोषणा कर दी.

    मंत्रालय का यह भी कहना है कि नई निर्वाचित संस्था भी पूर्व पदाधिकारियों के नियंत्रण में काम कर रही थी, जो राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं है. मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक संघ से कुश्ती महासंघ का कामकाज देखने के लिए तदर्थ (Adhoc) कमिटी गठित करने का अनुरोध किया है.

    खेल मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के जरिए अख़बारों में छपी खबरों में इस बात का ज़िक्र ख़ास तौर पर किया गया है कि बृज भूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद नई संस्था भी बृज भूषण के आधिकारिक बंगले से ही काम करना शुरू कर दिया था जहां से पिछले अधिकारी काम किया करते थे और उसी सबसे ख़ास की उसी परिसर अंदर बृज भूषण शरण पर महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.

    सिर्फ़ यही नहीं, भारतीय कुश्ती महासंघ के नए अध्यक्ष संजय सिंह के बनने के बाद बृज भूषण शरण सिंह के बेटे की एक तस्वीर भी सोशल मीडिया पर वायरल होकर इस मसले आग का घी का काम किया.

    इस तस्वीर में उनके बेटे और गोंडा से बीजेपी विधायक ने प्रतीक भूषण सिंह ने संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद बृज भूषण शरण सिंह के तस्वीर वाली पोस्टर के साथ फ़ोटो दिखा रहे थे जिसमें लिखा था “दबदबा तो क़ायम रहेगा”.

    इस तस्वीर मे सोशल मीडिया पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक खलबली मचा दी थी जो शीर्ष नेतृत्व यह कहते फिर रहा था कि बृज भूषण शरण सिंह एवं उनके परिवार के हस्तक्षेप को कुश्ती महासंघ के पूरी तरह से बाहर कर दिया जाएगा.

    अब जबकि, बृज भूषण शरण सिंह के पिछले दिनों के बयान और उनके बेटे की तस्वीर ने ये संदेश दे दिया कि भले सरकार चाहे नई कमिटी का चुनाव कराकर स्वांग रचा हो, मगर पर्दे के पीछे से सारा नियंत्रण भाजपा सांसद की ही था.

    आख़िरकार, जब कुश्ती महासंघ के निलंबन का निर्णय ले लिया तब बृज भूषण शरण सिंह का बयान सामने आया, “जिसमें वे कहते दिख रहे हैं कि “वे अब इस खेल से नाता तोड़ रहे हैं.

    बक़ौल बृज भूषण शरण सिंह, “मैं इस खेल से संन्यास ले रहा हूं, क्योंकि मेरे पास कई अन्य ज़िम्मेदारियां हैं, जिनमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव है. बृज भूषण शरण सिंह आगे यह भी कह कहते हैं, “12 वर्षों तक कुश्ती की सेवा की, अच्छा या बुरा किया यह समय बताएगा. मैंने अब कुश्ती से संन्यास ले लिया है और इस खेल से नाता तोड़ रहा हूं, अब आगे इस संबंध में जो भी फ़ैसले लेने हैं, चाहे वह सरकार से संपर्क करना हो, या क़ानूनी प्रक्रिया को संभालना हो, अब से सारा काम नवनिर्वाचित सदस्य करेंगे.

    जबकि इधर संजय जो कि नए चुने गए बृज भूषण शरण सिंह के करीबी अध्यक्ष हैं उनका बयान आया है कि हम खेल मंत्री से मिलने का समय मांग रहे हैं और उनसे निलंबन हटाने का आग्रह करते हैं क्योंकि सारे फ़ैसले नियमों को कुश्ती महासंघ का प्रावधानों के तहत हुए हैं. संजय सिंह कहते हैं कि अगर बातचीत का रास्ता नहीं सुलझता है तो हम क़ानूनी विकल्प तलाश सकते हैं.

    आपको इन सबके बीच सबसे दिलचस्प बात बता दें कि कुश्ती महासंघ के निलंबन का यह फ़ैसला, बृज भूषण शरण सिंह के कुश्ती की राजनीति से सन्यास लेने का बयान और नए चुने गए अध्यक्ष संजय सिंह का बयान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से एक मुलाक़ात के बाद घटित हुए हैं. इन्हीं सारी पहलुओं को सामने रखते हुए कांग्रेस खेल मंत्रालय के इस फ़ैसले को जनता की आंखों में धूल झोंकने जैसा मान रही है.

    कांग्रेस के शीर्ष नेत्री प्रियंका गांधी ने इस मसले सोशल मीडिया साइट एक्स पर बड़ी बेबाक़ी से अपनी राय दी है. उन्होंने कहा है, “ भाजपा सरकार कुश्ती संघ को भंग करने की झूठी खबर फैला रही है. कुश्ती संघ को भंग नहीं किया गया है, सिर्फ उसकी गतिविधियों को रोका गया है ताकि भ्रम फैलाकर आरोपी को बचाया जा सके. एक पीड़ित महिला की आवाज दबाने के लिए इस स्तर पर जाना पड़ रहा है?”

    प्रियंका आगे लिखती हैं, “देश को गौरवान्वित करने वाली नामचीन खिलाड़ियों ने भाजपा सांसद पर यौन शोषण का आरोप लगाया तो सरकार आरोपी के साथ खड़ी हो गई. पीड़िताओं को प्रताड़ित और आरोपी को पुरस्कृत किया. प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के कान पर जूं तक नहीं रेंगा. महिला पहलवानों से आंदोलन वापस लेने की एवज में दिये गये आश्वासन को गृहमंत्री भूल गए.

    अहंकार की पराकाष्ठा यह कि जिस भाजपा सांसद पर महिला खिलाड़ियों के यौन शोषण का आरोप है, उसने खुद ये भी फैसला करवा लिया कि अगला नेशनल गेम उसी के जिले में, उसी के कॉलेज ग्राउंड पर खेला जाएगा. इस अंधेरगर्दी और अन्याय से हारकर ओलंपिक विजेता साक्षी मलिक ने कुश्ती ही छोड़ दी, खिलाड़ी अपने पुरस्कार वापस करने लगे तो सरकार अफवाह फैला रही है.

    जहां भी किसी महिला पर अत्याचार होता है, यह सरकार अपनी पूरी सत्ता की ताकत के साथ आरोपी को बचाती है और पीड़ित को ही प्रताड़ित करती है. आज हर क्षेत्र में महिला नेतृत्व की बात होती है लेकिन सत्ता में बैठे लोग ही आगे बढ़ रही महिलाओं को प्रताड़ित करने, दबाने और हतोत्साहित करने में लगे हैं. देश की जनता, देश की महिलाएं यह सब देख रही हैं.

    प्रियंका गांधी का यह पूरा ट्वीट हमने आपको इसलिए पूरा पढ़कर सुनाया ताकि आपको स्पष्टता से यह पता पता चल सके महिला एवं पुरुष कुश्ती खिलाड़ियों ने बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण समेत गंभीर आरोप लगाए, बावजूद इसके पिछले ग्यारह महीनों से केंद्र की भाजपा सरकार किस तरह अपने यौन शोषण के आरोपी सांसद को बचाने में लगी रही.

    आख़िरकार जब बृज भूषण के खिलाफ एफ़आइआर करके जाँच करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट की तरफ़ से आ गया और खिलाड़ियों ने अपने पुरस्कार और पदक वापस लौटाने शुरू कर दिए और सरकार की चारो ओर भद पिटने लगी तो मंत्रालय को कुश्ती महासंघ के निलंबन का फ़ैसला लेना पड़ा, पर फिर भी बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पायी.

    इसलिए यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए कि भाजपा इस बात से डर रही है कि यदि बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई त गोण्डा का कैसरगंज से 1991 ले लगातार सासंद चुने जा रहे बृज भूषण शरण सिंह क प्रभाव बाद के वर्षों में बृज भूषण गोंडा के साथ-साथ बलरामपुर, अयोध्या और आसपास के ज़िलों में बढ़ता गया और वे 1999 के बाद से अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे हैं. यही नहीं राम मंदिर आंदोलन के दौरान सक्रिय भूमिका रही तथा वे आडवाणी के साथ उन चालीस सांसदों में शामिल थे जो बाबरी मस्जिद  ढहाने के मुख्य अभियुक्त बने थे. हालांकि सितंबर 2000 में कोर्ट ने उन आरोपों से उन्हें मुक्त कर दिया था,

    लेकिन यह बात स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है है कि बृज भूषण शरण सिंह का राजनीतिक प्रभाव न केवल गोंडा और पूर्वांचल के इलाक़ों के राजपूत वोटरों में में बल्कि गोंडा व इसके आसपास क ज़िलों जैसे बस्ती, बलरामपुर, श्रावस्ती एवं अयोध्या में भी बृज भूषण के दबंग नेता और जनबल, बाहुबल और धनबल वाले नेता माने जाते हैं.

    बावजूद इन सब बातों के यदि इस बार केंद्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने मन बना ही लिया है कि कुश्ती संघ के विवादों का निपटारा कर देना है तो इसके लिए उसे सबसे पहले निपटारा करना होगा अपने दुलरुआ सांसद बृज भूषण शरण सिंह का. पर क्या बीजेपी और नरेंद्र मोदी ऐसा कर पाएंगे?

    बहुत जल्द यह भी पता लग जाएगा. तब तक बने रहिए हमारे‌ साथ,अभी‌ के लिए लेते हैं विदा,

    इसे भी पढ़ें: गैंगस्टर अमन सिंह हत्याकांड मामले में SIT गठित, गृह विभाग ने दिये आदेश  

     

     

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